-10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण समेत विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी दून में जमा हुए आंदोलनकारी


देहरादून, 9 सूत्रीय मांगों को लेकर आज विभिन्न संगठनों से जुड़े राज्य आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री आवास घेराव करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इस दौरान पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. जिसके बाद, पुलिस ने आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया.

राज्य आंदोलनकारियों का सीएम आवास कूच

विभिन्न जिलों से आए राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर सीएम आवास घेराव करने का निर्णय लिया, सबसे पहले राज्य आंदोलनकारी बहल चौक में एकत्रित हुए, उसके बाद जुलूस की शक्ल में प्रदर्शन करते हुए सीएम आवास कूच किया। बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री आवास की ओर से बढ़ रहे आंदोलनकारियों को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रहा। इस दौरान पुलिस ने आंदोलनकारियों को हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया, जिससे नाराज आंदोलनकारियों की पुलिस के साथ नोक-झोंक हुई। आक्रोशित आंदोलनकारी वहीं धरने पर बैठ गए।

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत क्रांति दिवस के अवसर पर राज्य आंदोलनकारी संगठन के बैनर तले हमने मुख्यमंत्री आवास कूच किया है. त्रिवेंद्र रावत ने हमारे ही नहीं, बल्कि इस राज्य के भी पूरे 4 वर्ष खराब किये. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को अति शीघ्र राज्य आंदोलनकारी की मांगों का संज्ञान लेना चाहिए. राज्य आंदोलनकारियों का 10% क्षैतिज आरक्षण का मसला लंबित पड़ा हुआ है, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. इसके अलावा राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों के पेंशन का शासनादेश अभी तक नहीं हुआ. जिससे राज्य आंदोलनकारियों में भारी नाराजगी है.
उन्होंने सरकार पर राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी का आरोप लगाया. प्रदर्शन के दौरान राज्यभर से आए आंदोलनकारियों ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने और भू-कानून बनाने की भी मांग की. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री आवास से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं आता है, तब तक उन्हें सड़क पर ही धरने में बैठने पर मजबूर होना पड़ेगा.

इस बीच काबिना मंत्री गणेश जोशी आंदोलनकारियों के धरने पर पहुंचे और उन्होंने किसी व्यक्तिगत कार्य के कारण तुरंत मुख्यमंत्री से वार्ता न करवा पाने की बात कर कल (आज) शाम 7:00 बजे मुख्यमंत्री से वार्ता का आश्वासन देते हुए धरना समाप्त करने की गुजारिश की जिस पर महिला आंदोलनकारियों ने आपत्ति जताते हुए आज ही बात करवाने पर पर अड़ गई। उपपा के प्रभात ध्यानी ने मंत्री से यह पूछने पर कि वार्ता के असफ़ल रहने पर क्या होगा तो उन्होंने उन्हें सकरात्मक रहने की बात कह डाली. इस पर मंच के अध्यक्ष ने मंत्री जी को आपस में वार्ता कर उन तक सूचना पहुँचाने को कहा।
उनके जाने के थोड़ी देर बाद ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी घटनास्थल पर पहुंच गए और उन्होंने अधिकारियों के धरने को अपना समर्थन देते हुए कहा कि यदि एक भी आंदोलनकारी की नौकरी गई तो वह मुख्यमंत्री आवास पर अनशन शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के सम्मान में आज तक जो कुछ भी हुआ है वह कांग्रेस शासन में ही किया गया है भाजपा द्वारा आज तक कोई भी कार्य आंदोलनकारियों के हक में नहीं किया एक महिला आंदोलनकारी द्वारा उन पर नेतागिरी करने का आरोप लगाया जिस पर उन्होंने तुरंत जवाब देते हुए कहा कि वहां विशुद्ध रूप से राजनीतिक व्यक्ति हैं चोरी-छुपे कोई काम करना पसंद नहीं करते .

उन्होंने कहा कि 2015 में आंदोलनकारियों के 10% आरक्षण का गैरसैण विधानसभा सत्र में कैबिनेट से पास करवा कर माननीय राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा था लेकिन विगत 6 सालों से उन्होंने उसको क्यों दबा कर रख दिया तो इसमें उनकी क्या गलती ? उन्होंने कहां कि अगर भविष्य में दुबारा कांग्रेस की सरकार आती है तो वह 10% आरक्षण के साथ पेंशन में बढ़ोतरी के साथ नियमानुसार और भी जो सुविधाएं सरकार उन्हें दे सकती है वह दिलवाने का प्रयास करेंगे ।

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह द्वारा गैरसैण राजधानी के मुद्दे पर बेहद साफगोई से अपनी बात कहते हुए कहा कि दोनों ही दल इस मुद्दे पर आज तक साहस नहीं जुटा पाये और ये मुद्दा कभी भाजपा के पाले में तो कभी हमारे पाले में घूमता रहा, लेकिन ये मामला अब ज्यादा लम्बा नहीं चलने वाला ये फैसला तो लेना ही होगा उन्होंने खुद को जनता की कसौटी पर खड़ा करते हुए कहा कि अब आप लोगों को यह देखने की जरुरत है कि राजनीतिक आदमी आपसे जो कह रहा है क्या कर भी रहा है या सिर्फ लच्छेदार भाषण देकर आपको ठग रहा है

विख्यात नेत्र चिकित्सक डा0 औली में अपने सूक्ष्म भाषण में कहा की सरकार को आन्दोलनकारियों की बातों पर गंभीर रूप से मनन करना चाहिए, अंत में उन्होंने आम आदमी पार्टी में गए आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान घर वापस लौटने की सलाह दे डाली.

प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आंदोलनकारियों ने कहा कि वह अब अपने हक के लिए चुप नहीं बैठेंगे और न सरकार व नेताओं को अपनी मनमर्जी चलाने देंगे।

आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान, वीरेंद्र पोखरियाल, जगमोहन नेगी, मनीष कुमार, नरेंद्र सेठियाल, प्रदीप कुकरेती, प्रभात ध्यानी, मोहन सिंह रावत, अवतार सिंह बिष्ट, बाल गोविंद डोभाल, डॉ विजेंद्र पोखरियाल ने एक स्वर में आंदोलनकारियों की मांगों की अनदेखी करने पर आक्रोश जताया। मांगों पर अड़े आंदोलनकारी धरने से उठने को तैयार नहीं हुए। जब पदाधिकारियों की ओर से धरना स्थल पर ही तंबू लगाने की तैयारी शुरू की गई तो पुलिस सतर्क हो गई। मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट कुसुम चौहान पहुंचीं। उनके अलावा सीओ सिटी शेखर सुयाल, सीओ प्रेमनगर दीपक सिंह, सीओ सदर अनुज कुमार की मौजूदगी में पुलिस ने आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी शुरू की। बसों में बैठाकर सभी आंदोलनकारियों को देर शाम परेड ग्राउंड में छोड़ा गया। बारिश के बावजूद महिला आंदोलनकारी धरने पर डटी रहीं। इस दौरान जब कुछ महिला पुलिसकर्मी महिला आंदोलनकारियों के जेल में डालने की बात कहने लगीं तो उन्होंने एक सुर में कहा कि वह जेल जाने से नहीं डरती हैं।

कबीना मंत्री गणेश जोशी के आश्वासन के बाद आन्दोलनकारी मंच का एक दल विशेष के लोगों के भाषण व उनके जय-घोष के नारे लगना अधिकतर आन्दोलनकारियों को पसंद नहीं आया उनका कहना था की वह राज्य आन्दोलनकारी हैं न की किसी दल विशेष के लोग, वह अपनी मांग सरकार से कर रहें हैं ऐसे में उन्हें किसी राजनितिक कंधे की क्या जरुरत है