राजनीति में कुछ भी संभव है । कभी इस करवट तो कभी उस करवट, इसी तरह एक प्रचलित नाम है प्रशांत किशोर उर्फ पीके, जिसे राजनीति का चाणक्य कहा जाता है।
नई दिल्ली, ये वही प्रशांत किशोर हैं, जिन्होंने नरेन्द्र मोदी की ब्रांडिग कर उन्हें 2014 में भारी मतो से जीत दिलवाकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था। और केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी। इन दिनों प्रशांत किशोर की कांग्रेस में जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं।
राहुल गांधी ने मांगी पार्टी से राय
प्रशांत किशोर भारत की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी के साथ अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू चाहते हैं। इसके लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ मुलाकातों का दौर जारी है। राजनीतिक गलियारों में पीके के कांग्रेस में शामिल चर्चाएं गर्म हैं। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने एक बैठक कर प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करने के लिए पार्टी नेताओं से राय मांगी है।
कांग्रेस के हलकों में इसकी फुसफुसाहट तेज हो गई है, मगर न तो पार्टी और न ही प्रशांत किशोर ऑन रिकॉर्ड कुछ कह रहे हैं। इस मुद्दे पर 22 जुलाई को राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में चर्चा की गई थी और इसमें एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, कमलनाथ और अंबिका सोनी सहित पार्टी के लगभग आधा दर्जन से अधिक प्रमुख नेताओं ने भाग लिया था।
पीके बयान से कांग्रेस को उम्मीद
बता दें कि उनका संदर्भ भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए तीसरे मोर्चे के संदर्भ में पिछले महीने प्रशांत किशोर की टिप्पणियों से है, जिसमें किशोर ने कहा था उन्हें नहीं लगता कि कोई तीसरा या चैथा मोर्चा बिना कांग्रेस को शामिल किए नरेंद्र मोदी को हरा सकता है। कांग्रेस के बिना भाजपा को हराना संभव नहीं है। दूसरी बात यह कि पीके ने खुद ही कांग्रेस से संपर्क किया है।