रानीखेत, हिमालयी राज्य में औषधीय गुणों वाले मोटे अनाज के उत्पादन की सदियों पुरानी परंपरा अब खतरे में है। वैज्ञानिकों की मानें तो नित नए शोध ने नए बीजों के बूते बंपर पैदावार तो दी पर विकास की बयार में पहाड़ की प्राचीन फसल प्रजातिया संकटग्रस्त हो चली हैं। ऐसे में पुरानी फसल प्रजातियों के बीजों के साथ ही पेटेंट पर अंकुश को वैज्ञानिक किसान अधिकारों के संरक्षण की पुरजोर वकालत करने लगे हैं। मौजूदा दौर पहाड़ की मोटी अनाज प्रजातियों के माकूल नहीं रहा। वैज्ञानिकों के मुताबिक उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में कौंणी, चींड़ा (मडवा की तरह), जखिया की प्रजातिया, काला पहाड़ी भट, गहत, राजमा, सफेद तिल, काला जीरा, जौं, उपराऊ का धान (लाल चावल) आदि प्रजातिया विलुप्ति की कगार पर हैं।