उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी कोटे के तहत राज्य के विभिन्न विभागों में सरकारी सेवाओं में नियोजित कर्मचारीयों की नौकरी अब संकट के घेरे में है। गृह विभाग द्वारा सभी विभागों से आरक्षण के तहत लगे कर्मचारियों का विवरण मांगा है ।
सनद रहे कि पृथक राज्य निर्माण के आंदोलन के दौरान तत्कालीन सरकारों के जुल्म औऱ यातनाओं को सहन कर जेल गए/ गंभीर रूप से घायल हुए उत्तराखंड आंदोलनकारियों को सम्मान देते हुए 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के आदेश के बाद सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ दिया गया था किंतु कुछ तकनीकी खामियों के चलते उच्च न्यायालय ने 7 मार्च 2018 न्यायालय को उक्त आदेश को निरस्त कर दिया था।
माननीय न्यायालय के उक्त आदेश के क्रम में कार्मिक विभाग ने 9 दिसंबर 2018 को सभी विभागों के एक पत्र लिख कर मा0 न्यायालय के आदेश के अनुपालन में अग्रेतित कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा गया मगर वो अग्रेतित कार्यवाही कार्यवाही क्या होगी यह स्पस्ट नहीं था। गृह विभाग के उक्त आदेश के बावजूद राज्य आंदोलनकारी अपनी सेवाएं देते रहे। इसी बीच उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका के तहत सरकार को अपने पूर्व आदेश (7 मार्च 2018) का पालन किये जाने के संबंध में जानकारी मांगी । इसी क्रम में पुनः दिनांक 23 जून 2021 को अपर सचिव रितु अग्रवाल ने सभी विभागों को पत्र लिखकर उनके द्वारा 9 दिसंबर 2018 के भेजे गए पत्र का जिक्र करते हुए उनके द्वारा की गई अग्रेतित कार्यवाही का विवरण देने को कहा गया है। हालांकि इस आदेश में स्पष्ट तौर पर कर्मचारी को हटाने का उल्लेख नहीं है मगर उक्त पत्र के जारी होने के बाद आंदोलनकारियों में रोष व्याप्त है।
राज्य आन्दोलनकारी वीरेन्द्र पोखरियाल ने कहा कि वह पहले भी सभी आंदोलनकारी-कर्मचारियों को न्यायायिक प्रक्रियाओं के सन्दर्भ में सचेत रहने को कहते रहें हैं फिर भी अगर आंदोलनकारियो के नौकरीयों पर कोई संकट आता है तो वह पूरी आन्दोलनकारियों के साथ खड़े हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की उत्तराखंड राज्य इन्हीं लोगों के त्याग और बलिदान के बदोलत ही बना था मगर समय के साथ राज्य विरोधी ताकतें मजबूत होती चली गईं और आज स्थिति यह हो गई और लोग हम लोगों को संदेह की नजरो से देखने लगे हैं. अब इन राज्य विरोधी ताकतों को सबक सिखाने का वक्त आ गया है।
उत्तरखंड राज्य आन्दोलनकारी-कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष यशवंत रावत जो कि आजकल अस्वस्थ चल रहें हैं ने सरकार को 2 टूक शब्दों में कहा कि 10 % आरक्षण कोई भीख में नहीं मिला था मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने राज्य आन्दोलन में अपने जीवन के बेशकीमती सालों का बलिदान करने वाले युवाओं का सम्मान करते हुए यह कहते हुए दिया था कि, “हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन नोजवानों के कारण ही यह प्रदेश बना है , तभी मैं यहाँ का मुख्य मंत्री हूँ “। बाकि अगर सरकार हमें नौकरी से बहार करना चाहती है तो उनकी इच्छा है सम्मान किया जायेगा।
कर्मचारी संगठन के कोषाध्यक्ष ललित जोशी ने कहा कि वह बहुत से आन्दोलनकारी पहले भी नौकरी में थे। सरकार द्वारा तय किये मानकों के बाद उन्होंने परीक्ष पास की ।अब 12-15 साल सेवा देने के बाद इस तरह की बातें देखना/सुनना सरकार के नीतियों पर सवाल खड़े करता है । उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद लगभग सभी मुख्यमंत्रीयों ने आन्दोलनकारियों के सम्मान में कुछ न कुछ दिया मगर तीरथ सिंह जी का कार्यकाल हटा दें तो साढ़े 4 साल में पूर्व मुख्यमंत्री ने आन्दोलनकारियों को मिलने तक का समय नहीं दिया।
देहरादून, उक्त घटनाक्रम के बाद उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य आंदोलनकारियो के साथ जो अधिकारी बार बार नया शासनादेश जारी कर अस्थिरता का माहौल बनाकर मखौल पैदा करने रहें है़ हम उसकी कड़ी भर्त्सना करते है़। हम आन्दोलनकारियों के हितों के साथ ही प्रदेश की समूह ग कि भर्ती में स्थानीय रोजगार कार्यालय में पंजीकरण आवश्यक किये जाने की मांग भी करते हैं जिससे स्थानीय बेरोजगारों को न्याय मिल सके राज्य आंदोलनकारी मंच द्बारा दिनांक 04-जुलाई को पूर्व घोषित कार्यकम के अनुसार सुबह 10-30 बजे शहीद स्मारक पर एक बैठक आयोजित की जायेगी।
सन 2013 से उच्च न्यायालय में सरकारों की पेरवी देख रहे राज्य आन्दोलनकारी क्रांति कुकरेती ने कहा कि सरकार की न्यायालय में लचर पेरवी के कारण ही आज यह दिन देखने को मिल रहा है अन्यथा तो यह कोई मामला ही नहीं था। 7 मार्च 2018 को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अगर सरकार की नियत साफ होती तो वह उक्त फेसले के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाती मगर नहीं गई। आगे बताते हुए उन्होंने कहा वह खुद सुप्रीम कोर्ट जाने को तेयार थे मगर वकील की फीस की व्यवस्था न हो सकी । लेकिन वह अभी भी निराश नहीं हैं उनका कहना है कि अभी भी सरकार चाहे तो आन्दोलनकारियों व अपने अधिकारीयों को सयुंक्त रूप से वार्ता के लिये बुलाये तो इस संकट का समाधान हो सकता है।