घुघुती बसूती क्या खांदी दूध भात —! अपणी बोली अपणी भाषा अपणी पछांण!
आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस च। मातृभाषा जेथें हम  दुधबोली भी बोलदन अर्थात् वु भाषा जु हमथें अपणी मां का मुख से सुण कु मिलदी और फिर हम बोलदन। एक रिपोर्ट का मुताबिक भारत मां 1652 मातृभाषायें प्रचलन मा च। जबकि 24 भाषाओं थें 8 वीं अनुसूची मा शामिल करियों च।
 देश मा जों २४ भाषाओं थे संवैधानिक मान्यता प्राप्त च वो मां  १.असमिया, २.ओडीसी, ३.उर्दू, ४.कन्नड़, ५.कश्मीरी, ६.गुजराती, ७.तमिल, ८.तेलुगू, ९.पंजाबी, १०.बंगला, ११.मराठी, १२.मलयालम, १३.संस्कृत, १४.सिन्धी, १५. हिन्दी, १६.मणिपुरी, १७.नेपाली, १८.कोंकणी, १९.मैथिली, २०.संथाली, २१. बोडो, २२. डोगरी, २३.राजस्थानी, २४.तुडू। शामिल च।
उत्तराखण्ड की राजभाषा भी हिन्दी च और द्वितीय भाषा संस्कृत।। यख कुमाऊनी और गढ़वाली मुख्य मातृभाषाएं च। ये का अलावा जौनसारी, बुक्सा, थारू, राजी, भोटिया लोकभाषा भी च। साहित्य अकादमी न कुमाऊनी और गढ़वाली थें भी मान्यता दिनी। राज्य सरकार थें बी कुमाऊनी-गढ़वाली भाषा थें राज्य में द्वितीय दर्जा देण चेंदी और गढवाली, कुमाऊँनी,जौनसारी, रवाल्ठी भाषाओं थें आठवीं अनुसूची मा शामिल करणकु पुरजोर प्रयास कन चैंदू। आज समय मा बदलाव ऐगे लोग अपणी बोली भाषा थें प्रोत्साहन देणा छिन। ये बात की सराहना की जाण चैंदी कि उत्तराखण्डी भाषाओं का कवि, गीतकार, गायक, साहित्यकार और पत्रकार अपणी अपणी तरफ बिठी मातृभाषा थें समृद्ध करण मा लग्या छिन । हमथें अपणी भाषा बोलण मा पीछिन नि हटण चैंदी। येका विकास, सृजन और संवर्धन मा निरंतर अगिने रेण चैंदी। हर साल 21 फरवरी कु अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनोणा च। अगिने आवा अपणी दूधबोली भाषा गढवाली कुमाऊँनी जौनसारी थे अगिने बढ़ावा।
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