देहरादून, 31 मई को लगातार दूसरे दिन वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मातृ शक्ति सोना देवी का भी हो गया वह 70 वर्ष की थीं। कल देर सांय हरिद्वार में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए राज्य आंदोलनकारी चन्द्र किरण राणा ने बताया कि पृथक राज्य आंदोलन में तो दिवंगत सड़को पर आंदोलनरत तो थीं ही साथ ही उनके पुत्र भी उतने ही सक्रिय रहें। वह 1995 में टपकेश्वर में भूख हड़ताल पर बैठ गये थे।
रामलाल खंडूड़ी और वीरेन्द्र गुंसाई ने कहा कि इस पूरे परिवार का राज्य आन्दोलन में पूरा सहयोग रहा।
जगमोहन नेगी व प्रदीप कुकरेती ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी एक-एक कर हमारे बीच से दुनिया छोड़कर जा रहें है़ और हमारे सपनो के अनुरूप अभी कुछ हुआ औऱ यह स्वपन कब पूरा होगा, अभी और कितनी कुर्बानियां देनी होगीं, ये ईश्वर ही जानता है़।

शोक व्यक्त करने वालों में मुख्यतः ओमी उनियाल, रवीन्द्र जुगरान,वीरेन्द्र पोखरियाल,महिपाल शाह,जयदीप सकलानी,अम्बुज शर्मा,शिवानंद चमोली,अनिल वर्मा , अनुराग भट्ट,दीपक बर्थवाल,गणेश डंगवाल,सतेन्द्र भण्डारी,विजयेश नवानी,संदीप पटवाल,विक्की गुसाईं,विजय बलूनी,राकेश नौटियाल,प्रमोद पंत,पृथ्वी सिंह नेगी,हरी मेहर,अनिल पंछी,अजय बर्थवाल,प्रमोद नेगी,अजय कंडारी,सुरेश नेगी,केशव उनियाल,सुरेश कुमार,सुमित थापा,भानु रावत,विनोद असवाल,प्रभात डंडरियाल,सतेन्द्र नौगाई,मोहन खत्री,वेदा कोठारी,उमा दत्त जुगरान,मोहन रावत,सुनील बड़ोनी,यशवंत रावत,सुनील जुयाल व प्रेम सिंह नेगी रहे।