कुटकी

देहरादून। आयुर्वेद में जड़ी बूटियों का महत्व है। प्राचीन समय से इनका इस्तेमाल कई रोगों और विकारों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। कुटकी एक ऐसी ही औषधीय जड़ी-बूटी है। यह पारंपरिक जड़ी-बूटी मूल रूप से पहाड़ों में पायी जाती है। हालांकि यह बहुत मुश्किल से मिलती है।

कुटकी वजन घटाने में बहुत फायदेमंद है। इसके जड़ का स्वाद कड़वा होता है, लेकिन यह सेहत के लिए फायदेमंद है। विभिन्न बीमारियों के इलाज में कुटकी का इस्तेमाल कई रूपों में किया जाता है।

कुटकी में एंटी पायरेटिक गुण पाए जाते हैं जो शरीर के तापमान को कम करके बुखार में राहत प्रदान करते हैं। इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुण सीजनल बीमारियों से शरीर को सुरक्षित रखते हैं। कुटकी सूजन की समस्या को भी दूर करता है।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपने आहार में कुटकी को पाउडर के रूप में जरूर शामिल करें। संक्रमण के कारण किसी भी समय सांस की तकलीफ हो सकती है। कुटकी में एंटी इंफ्रलेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो वायुमार्ग को खुला रखते हैं और कंजेशन को दूर करते हैं। यह शरीर में हिस्टामिन के रिलीज को सीमित करता है और अस्थमा की समस्या को दूर करता है। साथ ही यह इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है और क्रोनिक इंफेक्शन की संभावना को कम करता है।

हल्दी की तरह कुटकी में भी कई एंटी आक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा को राहत देते हैं और संक्रमण, घाव और चकत्ते को तेजी से ठीक करते हैं। स्टडी में पाया गया है कि कुटकी स्किन संबंधी समस्याओं जैसे सोरायसिस और विटिलिगो को दूर करने में फायदेमंद है।

कुटकी लिवर संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करने में कारगर माना जाता है। कुटकी में कुटकिन या पिक्रोलिव जैसे एंजाइम पाए जाते हैं, जो लिवर के कार्य को बेहतर बनाते हैं। इसके साथ ही यह विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में भी मदद करता है। यह जड़ी-बूटी लिवर को स्वस्थ रखने में फायदेमंद है।

कुटकी में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं जो गैस्ट्रिक फंक्शन को उत्तेजित करते हैं। यह मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है और डायजेस्टिव फाइबर के उत्पादन को बढ़ाता है। इसके अलावा यह फैट को भी कम करता है। कुटकी को अपनी डाइट में शामिल करने से वजन नहीं बढ़ता है।