देहरादून,कुर्सी संभालने के पहले ही दिन शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत एक्शन में नजर आए। उन्होंने सभी जिला विकास प्राधिकरणों पर फैसला होने तक सभी नक्शों को पास करने पर रोक लगा दी है। मंत्री की अगुवाई में प्राधिकरणों के अस्तित्व को लेकर उपसमिति भी गठित कर दी गई है। वहीं, वर्ष 2016 से पूर्व के जो विकास प्राधिकरण अस्तित्व में थे, उनमें नक्शे पास करने की प्रक्रिया जारी रहेगी।
जिला विकास प्राधिकरणों के गठन के संबंध में त्रिवेंद्र सरकार पूर्व में उलझी रही। पहले सिर्फ चार मैदानी जिलों में जिला विकास प्राधिकरण गठन का कैबिनेट में निर्णय हुआ था। बाद में पर्वतीय जिलों में भी जिला विकास प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी गई थी। तय किया गया कि राष्ट्रीय और राज्य मार्ग से दो सौ मीटर के अंतर्गत इलाके विकास प्राधिकरण का हिस्सा होंगे। आयुक्त को प्राधिकरण में पदेन अध्यक्ष और एडीएम को सचिव बनाया गया। हरिद्वार को छोड़कर बाकी सभी जगह डीएम प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रखे गए थे। जैसे ही यह जिला विकास प्राधिकरण अस्तित्व में आए तो प्रदेशभर में इनका विरोध होना शुरू हो गया। खुद भाजपा के ही विधायक अंदरखाने इसके विरोध में उतर आए थे .