जल जमीन,जंगल को बचाने के लिये बना ये प्रदेश किस तरह से  भू माफियाओं के शिकंजे फंसता जा रहा है अगर किसी को देखना हो तो यमकेश्वर के कोठार व धमानदा ग्रामसभा में जाकर देख सकता है जहाँ आपको पता चलेगा कि ग्रामीणों के  हक़-हकूकों के लिए मजबूती से लड़ रहा क्षेत्रिय दल उत्तराखण्ड क्रांति दल की आवाज किस तरह जेसीबी के शोर में दबाने का प्रयास किया जा रहा है। करीब 4 माह से चल रही ग्रामीणों की ये जंग अब आर-पार की लड़ाई में बदल चुकी है। उक्त ग्राम सभा के लोग लंबे समय से वहाँ हो रहे अवैध सड़क निर्माण के खिलाफ आंदोलनरत हैं।

    ग्रामीण जानना चाहते हैं  कि किसकी इजाजत से उनके पुश्तेनी खेतो, जंगल, पेड़ों को रौंदकर रातों को जेसीबी चलाई जा रही है जबकि  यह ग्रामसभा राजाजी नेशनल पार्क जोन के अंतर्गत आती है इसलिए यहाँ  आपराधिक मामला भी है।
उक्त मामले की शिकायत क्षेत्रिय जनता अपनी विधायिका,जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री कार्यालय ( CMO ) व प्रधान मंत्री कार्यालय ( PMO ) तक से  कर चुकी है, मगर जिलाधिकारी महोदय व  विधायक महोदया घटना क्षेत्र का दौरा करने के बाद भी पिछले चार महीनो से आँखे फेर कर बैठना ग्रामीणों के गुस्से को बड़ा रहा है।

     यमकेश्वर ब्लॉक प्रमुख कृष्णा नेगी ने आंदोलन कर रहे ग्रामीणों को अपना समर्थन देते हुऐ कहा कि समझ नहीं आ रहा है कि  जिला प्रशासन कैसे ग्रामीणों की पुश्तेनी जमीन पर बुल्डोजर चलाने की अनुमति दे सकता है  उनका मानना है कि भूमाफिया  ने जिला प्रशासन को गुमराह कर यहाँ की  NOC प्राप्त की है इसकी जांच होनी  नितान्त आवश्यकता है ताकि स्थिति साफ़ हो सके ।
   विधायिका पर लगाया मिलीभगत के आरोप :-
    क्षेत्र पंचायत सदस्य कोठार गुड्डी देवी का कहाना है कि यह यमकेश्वर का दुर्भाग्य ही है यहाँ की जनता ने मोदी के नाम पर एक पहाड़ विरोधी विधायक को चुन लिया। उन्होंने कहा एक तरफ तो सरकार देहरादून में चार विधायकों के कहने पर रातों रात बिहारीयों व् गैर पर्वतीय लोगों के लिये एक्ट बना देती है तो दूसरी तरफ वहीँ अपने हक़ – हकूकों के लिएआवाज उठा रहे लोगों को थाने -हवालातों में बंद करवा रही है 
        असल में बाबा से लाला बन चुके गुरु , जिनके आगे सूबे ही नहीं बल्कि  केंद्र की सरकार भी नतमस्तक है, के साथ किसी शिवालिक एग्रो नाम की कंपनी का गठबंधन जो यमकेश्वर के पहाड़ों और ग्रामवासियों की पुश्तेनी भूमि पर कब्जे करने और पहाड़ को बर्बाद करने के आरोप भी सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस कंपनी के कारिंदे आये दिन किसी ना किसी बड़े बाबा, व्यापारी या  भूमाफिया को लेकर आये दिन यहां चक्कर काटते रहते हैं। इन गांवों के शीर्ष पर स्थित विख्यात झिलमिल गुफा के निकट कोई उत्पादन या निर्माण की योजना है। ज़ाहिर है नीलकंठ महादेव के निकट होने के चलते यहां धर्म, योग ध्यान का धंधा भी खूब चलेगा। हालांकि ग्रामीणों को इस प्रस्तावित परियोजना पर कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु इस हेतु बनाई जा रही सड़क के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की बलि और पहाड़ के  कटान को लेकर ग्रामीणों को सख्त एतराज है।
एन.जी.टी.की रहस्यमय  ख़ामोशी 
        जंगलों, पेड़ों और पर्यावरण के संरक्षण  लिए गठित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून की खामोशी  इस मामले पर माफियाओं की “ऊपर तक पहुँच” को साबित करने के लिए काफी है । जिस  एन.जी.टी.की वज़ह से  उत्तराखण्ड की बड़ी-2 जलविद्युत परियोजनाओं  को पेड़ों, वनों और पर्यावरण के नाम पर रोका हुआ है वो भी यहाँ हो रहे अंधाधुन्द वन पातन को देखने को तैयार नहीं ।
पिछले 8 दिनों से अपने साथियों के साथ आमरण अनशन कर रहे  यूकेडी के युवा नेता  क्रांति कपर्वाण जो कि राज्य आंदोलनकारी स्व इंद्र दत्त शर्मा के पुत्र हैं को लगातार पुलिस उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है, कल रात जब वह धरना स्थल सो रहे थे तो लगभग 12 बजे पुलिस द्वारा उन्हें उठा लिया गया , जिसका  शांति प्रसाद भट्ट,महिपाल पायल,वेद मारवाड़ी,भरतसिंह,मदन सिंह ,महावीर सिंह,उपेन्द्र सिंह ,नवीन शर्मा, भूपेन्द्र राणा, पूनम देवी ,रजनी शर्मा,गुड्डी देवी,भगत सिंह,चन्द्र मोहन सिंह, कुंती,सुमन,रुक्मणि बीना,जशोदा,सरोजनी देवी आदि  ने जम कर विरोध किया ।  यूकेडी नेता शांति प्रसाद भट्ट ने शासन से थाना इंचार्ज लक्ष्मण झूला व् चौकी प्रभारी नीलकंठ को तत्काल वहाँ से स्थानांतरित करने स्थानीय पटवारी  द्वारा झूठी रिपोर्ट बनाने के कारण निलंबित करने की  मांग करी ।