उत्तराखंड ‘क ……. ” को बणौंल बल – करोड़पति ” में आपुँ सबन कैं बल्पानंदन ‘ क नमस्कार , पैंला्ग । ए बेरि जोरदार तालिनैलि याँ जतु दर्शक बैठि रयीं , उनौर ले स्वागत है जा्ंण चैंछ । तालि बाजनी ….. तड़ तड़ तड़ …… भौतै बढ़ी , जी रया , जागि रया , केबीसी खेलनै रया ………. । भली कै खेलिया हाँ तुम लोग ….. ।
. सबनहै तेज आँगुव चलूँणी सवाल तुमा्र कंम्प्यूटर स्क्रीन में ऐ गो हाँ ……. धैं , दस सैंकेंड में सबनहै पैंलीं को बतूँ पैं ? बीनागै तरफ पैराड़ बटी मलि गौधार जा्ँण में यो चार नौव छन …… अ– ढिमटी नौव , ब — इजरकूँ नौव , स — पा्ल छ्यो नौव , द — गुम पाँणी नौव । इनन कैं मलिकै जाँणा हिसाबैलि मतलब जो पैली पड़ों , लेखण् छ और आ्ब तुम लोगनौ टैम शुरु हुँछ । ……..जनैलि सही उत्तर बता उना्र नाम यो छन और ” गजब कुर्सी ” में बैठनेरौ नाम ……… लच्छी ला्ट छ । तड़ तड़ तड़ …… लच्छी दौड़नै आ्य और झिमौड़ जस बल्पानंदन है चिपटी ग्यो । ” भौत कै – भौत कै ” करी बादै बड़ि मुश्किल’ लि हटौ ।
. आओ हो लच्छी ला्ट सैप , तुमौर स्वागत छ । यै नियम ले बतै दियूँ पैं …… पाँ हजार बटी एक करोड़ तक सवाल छन । कंप्यूटर स्क्रीन में हर सवाल’क चार जवाब लेखी मिला्ल । तुमन कैं सही जवाब दिंण छ मतलब ” लाक करण ” छ । एक लाख बीस हजार तक सवालनां लिजी पैंतालिस सैकेंड मिला्ल और वी बाद एक करोड़ वा्ल सवाल ले भ्यार ऐ जा्ल । समझ गोछा हो लच्छी ला्ट सैपो ….. … ” होय होय बल्पानंदन ज्यू समझ गोयूँ ” …… आ्ब यहै पैंलीं कि सवाल भेजूँ ….. एक बात हमा्र दर्शक ले जाँणन चैनीं कि लोग्नां नाम त पहाड़न में लक्ष्मी दत्त पंत, पाँण्डे , तिवारी , सनवाल , कांडपाल या लच्छी सिह , बिष्ट , कन्याल , नयाल , अधिकारी , रावत जा्स हुँनी मगर तुमा्र नाम में ” ला्ट ” ….. के मल्लब भै ? यो क्वे डिग्री भयी या रतन – मगन जस सम्मान भै ? उत्तराखंड केबीसी में तुम पैंल मैंस छौ हो लच्छी ला्ट सैप ….. ! यारो ~~~ !! ला्ट सैपनां लिजी जोरदार तालि बजाऔ हो । तालि बजते रुँण चैंनी हाँ …… ।
……….. घ्वाड़ में जस रिंगणीं कुर्सी में लच्छी ला्ट सैप बैठ पैं । सामुणिं में बैठी बल्पानंदन थैं पैंला्ग कौय और बैठि बैठियै रिंग बेरि एक नजर चारों तरफ मारी । फिर ज्य हो इष्ट देब गोल्ल ज्यू आज पत्ती धरिया । एक करोड़ हा्थ लागि जाला त तुमन् थैं चाँदी – छत्र बणूँन …..सोचन् सोचनैं बला्ँण पैं ……. बल्पानंज्यू यौस छ नै कि नान्छिनान मैं ” सिंगाँण पोछणों ” ले सहूर नि भै कूँछा । कभै दैंण त कभै बौं तरफ ना्क है भ्यार लितौड़ जस निकयी रुनेर भै । इज कूनेर ले भै ……. पोथी , बाना खाऊँन जै बेरि नाक साफ करि ल्हे – फिर खायै दाल भात मगर मैलि कभै साफ नि कर । रुमाल हुमाल कां भै ….. पैली त सुणुक्क – सुणुक्क मलिकै स्वेर और जब धो स्वेरण है ग्यो आस्तीन ‘ लि रघोड़ दे ……. थिकावन लै सिंगाणा ख्याट साफ देखीनेर भै । नमस्कार कूँण में ले डर लाग्नेर भै कि कयीं ना्क बटी जुग जस खा्प भितेर नि न्है जाऔ ……. योयी बात छी हो महाराज जै वीलि श्री लक्ष्मी दत्त पंत , बेरीनाग वालन कैं ठुल हैयी बाद ले सबासब ” लच्छी ला्ट ” कूँनीं और आ्ब योयी नाम ले है ग्यो । बल्पानंदन सैपौ , मैं सोचूँ ….. नाम ‘लि के फर्क पड़ों ! क्वे के कौऔ ……. आ्ब मेरि नाक साफ रुँछ फिर ले कूनेरनै खाप को थामि सकौं ……. मैं के नि कुन्यूँ । गलती मेरि ले भयी किलैकि केबीसी में ले मैं , आपण नाम लच्छी ला्ट लिखै गियूँ ………. बल्पानंदन सैपलि तालि बजैयी त पुर हाल में देर तलक तड़- तड़ हुँनी रै । तबै ट्वाँ वाँ वाँ वाँ ……. कैले साँक जसि पाड़ी त ला्ट सैंपन कैं समझण में देर नि लागि । बल्पानंज्युलि ले कै कि आ्ब भोल खेली जाल …… मेरि कामना छ कि तुम भौत डबल जिति बेरि जाऔ ताकि तुमोर नाम बदयी बेरि ” लच्छी सेठ ” है जाऔ …….. । …….. जी रया जागि रया केबीसी खेलनै रया …….
Ghyan pant