नैनीताल, दूसरों को जीवन देने वाली गंगा का ही जीवन अब संकट में है। सिर्फ गंगा ही नहीं, पुराणों में उसकी बहन कही जाने वाली यमुना का भी अस्तित्व खतरे में हैं। हिदुओं की आस्था की ये दोनों ही नदियां इतनी प्रदूषित हो चुकी हैं कि इनका पानी पीना तो दूर आचमन करने के ही योग्य नहीं रह गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों ही नदियों में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से तय मानक से तीन हजार गुना अधिक गंदगी बह रही है। अकेले गंगा में ही एक दिन में नौ करोड़ लीटर सीवर की गंदगी, जबकि एक करोड़ सात लाख लीटर औद्योगिक कचरा बहाया जा रहा है। यह रिपोर्ट उन दावों पर भी सवाल खड़ी करती है, जो वर्षो से अलग-अलग योजनाओं के तहत गंगा की सफाई को लेकर किए जाते रहे हैं। हाई कोर्ट ने गंगा की गंदगी के मसले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली निवासी याचिकाकर्ता अजय गौतम के पत्र को पढ़कर बेहद गंभीर सवाल उठाए। पत्र में कहा गया है कि गंगा उत्तराखंड में गोमुख से निकलकर दो हजार 525 किमी यात्रा तय कर गंगा सागर पहुंचती है तो यमुना यमुनोत्री से 1376 किमी का सफर तय कर इलाहाबाद पहुंचती है। इतनी दूरी तय करने में जगह-जगह दोनों ही जीवनदायिनी नदियों में करोड़ों लीटर गंदगी रोजाना मिलना गंभीर है। इसके बाद भी इसकी सफाई को लेकर किए जा रहे दावे कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। ऐसे में साल के 365 दिन गंगा की अविरलता बनी रहे, इसके लिए ठोस कार्ययोजना बननी चाहिए।