‘बड़ी कमजोरी-सी लगती है डॉक्टर साब, ताकत की कोई बढ़िया दवा लिख दीजिए…’ यह किसी डॉक्टर के जीवन में सबसे ज्यादा बार सुना गया वाक्य होता है. वहीं मरीज़ के लिए यह बड़ी भ्रामक, चमत्कारी, रहस्यवादी और सुविधाजनक बात होती है. दरअसल ‘कमजोरी’ एक ऐसा जनरल-सा बयान है जिसका अर्थ सांस फूलना, भूख न लगना, वजन गिरना, मन न लगना, बुखार-सा लगना आदि कुछ भी हो सकता है. कई बार तो मरीज किसी बड़ी बीमारी के कारण हो रही कमजोरी को भी ‘सामान्य-सी कमजोरी’ मानकर खुद ही दवाई की दुकान से लोकप्रिय ब्रांड का टॉनिक ले आते हैं. ऐसे लोगों की वह बीमारी इसी गफलत के चलते कई बार देर से पकड़ में आ पाती है.
ऐसे कितने ही उदाहरण देखने को मिले हैं जब मरीज की डायबिटीज़, थायरॉइड या कैंसर की बीमारी मात्र इस कारण पकड़ में नहीं आ पाई क्योंकि इस बीच वह शख्स किसी डॉक्टर के पास न जाकर अपनी कमजोरी का देसी-विदेशी इलाज खुद ही करता रहा.
‘कमजोरी लगना’ हो सकता है आखिर में कोई बीमारी ही साबित न हो, लेकिन हो यह भी सकता है कि यह किसी बड़ी बीमारी का लक्षण निकले. फिर? यूं समझें कि ‘कमजोरी लगना’ शरीर में तमाम तरह के जो अंग और मैकेनिज्म हैं, उनमें से किसी में भी गड़बड़ी से हो सकता है. तो अब चलिए इसके कुछ महत्वपूर्ण कारणों पर बात करते हैं.
कई बार कमजोरी लगने से ही डायबिटीज की बीमारी का पता चलता है. सो यदि परिवार में मां-बाप-भाई-बहन में से किसी को भी डायबिटीज हो (न हो तब भी), और आपको कमजोरी लगी रहती है तो ब्लड शुगर की जांच अवश्य करा लें. साथ में वजन गिर रहा हो, पेशाब बहुत होती हो, बहुत भूख लगती हो, बार-बार प्यास लगती हो, तब तो डायबिटीज के लिए देख ही लें.
लेकिन डायबिटीज से भी पहले, एनीमिया या कहें कि खून की कमी के कारण भी आपको कमजोरी लग सकती है. और जरूरी नहीं कि खून की बहुत कमी हो. हल्के एनीमिया, बल्कि एनीमिया होने से पहले के वक्फे में ही आपको कमजोरी-सी लग सकती है, महिलाओं के साथ तो ऐसा खासकर हो सकता है.
इस बीमारी को हीमोग्लोबिन की एक साधारण-सी जांच से पकड़ा जा सकता है. वैसे प्राय: आयरन की गोलियों से ही खून की कमी और कमजोरी दूर हो जाती है, लेकिन यह डॉक्टर को ही तय करने दें कि एनीमिया का कारण आयरन की कमी है या कुछ और, यानी इन हालात में खुद से आयरन के कैप्सूल न खाने लग जाएं. इस केस में पूरी जांच कराएं क्योंकि एनीमिया स्वयं में एक बीमारी न होकर किसी अन्य बड़ी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है.
आंतों से लेकर किडनी तक की बीमारियां एनीमिया के तौर पर प्रकट हो सकती हैं. एक बात और, एनीमिया की दवाइयां लंबे समय तक लेनी होती हैं. ‘हमारा हीमोग्लोबिन ठीक आ गया था तो हमने दवाइयां लेना बंद कर दिया’ ऐसा न करें. ऐसा करेंगे तो बार-बार एनीमिया होता रहेगा. और वह कोई बीमारी नहीं, आपकी मूर्खता ही कहलाएगी.
कमजोरी के ऐसे दसियों और कारण भी हो सकते हैं. इनमें से कई जानलेवा तक हैं, लेकिन लगभग सबका इलाज मौजूद है. कई बार तो आप ही कई दिनों तक डॉक्टर को नहीं दिखाते कि यह ठीक हो जाएगी. ऐसे में बड़ी बीमारी और बढ़ सकती है. उदाहरण के लिए ‘क्रोनिक किडनी फेल्योर’ का सबसे कॉमन लक्षण शुरू में थकान, कमजोरी और भूख न लगने जैसे सामान्य लक्षण ही होते हैं. शुरू में यह न पकड़ पाए तो बाद में जांच में पता चलेगा कि आपकी तो दोनों किडनियां काम नहीं कर रही हैं.
थायरॉयड की एक बीमारी थायरोटोक्सिकोसिस भी मूलत: कमजोरी पैदा करती है. कई साइलेंट से कैंसर भी यूं ही प्रकट होते हैं. बड़ी आंत के कैंसर, लिवर कैंसर (पुराने दारूखोरों में), हड्डियों तथा रक्त के कैंसर ऐसी कमजोरी के साथ सामने आ सकते हैं.
बॉउल हैविट बदल गई है, कमजोरी लगती है और वजन गिर रहा है, कमजोरी के साथ पेट गड़बड़ चल रहा है और चलता ही जा रहा है, कमजोरी है और कांख या जांघ में छोटी गिल्टी जैसी लग रही है. तब ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. यह कैंसर हो सकता है.
‘कमजोरी है और बुखार-सा लगता है…’ डॉक्टर से ऐसा न कहें. बाकायदा बुखार नापकर उसका रिकॉर्ड रखें. कमजोरी लगे तो अपना वजन भी नापते रहें. यह भी ध्यान दें कि जिसे आप कमजोरी कह रहे हैं वह वास्तव में क्या-क्या है. क्या आपको थकान हो जाती है या चलने पर सांस फूलती है या चक्कर आता है, अंधेरा-सा छा जाता है. आप ध्यान दें कि कहीं इन लक्षणों को तो कमजोरी नहीं कह रहे हैं, क्योंकि ये सारी चीजें दिल की बीमारी, अनियंत्रित बीपी से लेकर किसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी तक के संकेत भी हो सकते हैं. यहां तक कि यह फेंफड़ों की कोई बीमारी भी हो सकती है. किसी दवा के साइड इफेक्ट से भी ये लक्षण उभर सकते हैं. टीबी से लेकर डिप्रेशन तक भी इस तरह की कमजोरी की वजह हो सकते हैं.
डिप्रेशन से जुड़ी एक और बात याद रखें. मान लें कि ढेर-सी जांचों के बाद भी आपकी कमजोरी का कोई कारण खोज पाने में मेडिकल साइंस परास्त हो चुका हो तो फिर कारण खुद में तलाशें. कहीं यह सब आपके अवचेतन मन का खेल तो नहीं! ऐसे में किसी अच्छे मनोचिकित्सक से मिलना गलत नहीं होगा. आजकल का जीवन इतना चकरघिन्नी है कि इंडोजीनस डिप्रेशन जैसी मानसिक व्याधियां भी इसी तरह के अजीब से लक्षणों से प्रकट हो सकती हैं
कुल मिलाकर संदेश यह है कि कमजोरी-सी लगती हो तो सीधे टॉनिक लेने पर न उतर जाएं. पहले उत्तर तलाशें कि यह कमजोरी क्या है और बेहतर होगा कि डॉक्टर को यह काम करने दें.
साभार ज्ञान चतुर्वेदी