नेगी ने कहा कि मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्ष 2010 में कृषि मन्त्री रहते हुए 9680 कुंटल ढैंचा बीज की मांग के सापेक्ष 15000 कुंटल ढैंचा बीज की खरीद हेतु आदेश पारित किये तथा कई अन्य अनियमिततायें की। तत्कालीन कृषि मन्त्री त्रिवेन्द्र रावत (वर्तमान मुख्यमन्त्री) द्वारा किये गये भ्रष्टाचार एवं मुख्यमन्त्री बनते ही मातहत अधिकारियों पर दबाव डालकर त्रिपाठी जाॅंच आयोग की रिपोर्ट को ही पलटवा दिया गया था। एक्शन टेकन कमेटी की रिपोर्ट में क्लीन चिट दिये जाने सम्बन्धी रिपोर्ट को न्यायालय में पेश करा दिया गया कि एक्शन टेकन रिपोर्ट में त्रिवेन्द्र रावत दोषी नहीं पाये गये हैं। पूर्व में उक्त मामले की गूॅंज पूरे प्रदेश में होने पर प्रकरण में तत्कालीन कांगे्रस सरकार के समय वर्ष 2013 में एकल सदस्यीय एस0सी0 त्रिपाठी जाॅंच आयोग गठित किया, जिसमें ढैंचा बीज घोटाले की जाॅंच हेतु निर्देशित किया गया था। इस मामले की गहन जाॅंच के उपरान्त त्रिपाठी जाॅंच आयोग द्वारा तत्कालीन कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही की सिफरिश की, जिसमें कृषि अधिकारियों का निलम्बन एवं फिर उस आदेश की पलटना, सचिव, कृषि की भूमिका की जाॅंच विजीलेंस से कराये जाने के मामले में अस्वीकृती दर्शाना तथा बीज डिमांड प्रक्रिया सुनिश्चित किये बिना अनुमोदन करना। इस प्रकार आयोग ने इसे उ0प्र0 (अब उत्तराखण्ड) कार्य नियमावली 1975 का उल्लंघन माना है। मोर्चा सीएम त्रिवेन्द्र पर दोधारी तलवार के रूप में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी व उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेगा। पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह, प्रेमलता भरतरी, विनोद काम्बोज, प्रवीण शर्मा पीन्नी, नवीन नेगी आदि उपस्थित रहे।
देहरादून, जनसंघर्ष मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष एवं जीएमवीएन ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका को मात्र इस आधार पर 18 सितंबर को खारिज किया है कि याचिकाकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी राजनीतिक पृष्ठ भूमि से जुड़े व्यक्ति हैं तथा पूर्व में गढ़वाल मण्डल विकास निगम में उपाध्यक्ष रहे हैं एवं राजनीतिक लाभ लेने के लिए जनहित याचिका दायर की गयी है।
देहरादून में एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में नेगी ने कहा कि इस मामले में जनसंघर्ष मोर्चा के सैकड़ों साथी, जो कि राजनीतिक पृष्ठ भूमि से नहीं हैं, सीएम त्रिवेन्द्र के खिलाफ ढैंचा बीज घोटाले को लेकर आक्रोशित हैं तथा फिर से जनहित याचिका अपने-अपने नाम से करने को तैयार है।