देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट विस्तार परियोजना के तहत देहरादून के रायपुर थानो क्षेत्र के 10,000 पेड़ो को काटे जाने का प्रस्ताव है । सरकार के इस कदम पर देहरादून के कई संगठन और नागरिक जॉलीग्रांट एयरपोर्ट को अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के नाम पर जंगल काटने को लेकर गुस्सा हैं और इस निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है |
देहरादून में दिनांक 18 अक्टूबर को थानों क्षेत्र, जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में विभिन्न सामाजिक संगठनों, नागरिकों और छात्र संगठनों ने प्रदर्शन किया जिसमे उन्होंने ह्यूमन चैन बनाई तथा जॉलीग्रांट एयरपोर्ट तक मार्च निकालकर विरोध किया| पेड़ों से चिपक कर लोगों ने पेड़ काटे जाने का विरोध किया। इस आंदोलन को चिपको आंदोलन का नाम दिया गया है।
थानों क्षेत्र के चिपको आंदोलन में शामिल लोगों का यह मानना है कि सरकार का यह निंदनीय कदम है, उत्तराखंड की सरकार पर्यावरण और जैव-विविधतता को लेकर गंभीर नहीं है जिसके चलते वह इस तरह के निर्णय ले रहे है | इतना ही नहीं केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार उत्तराखण्ड की विरासत हमारे जंगल, पहाड़, वन आरक्षित क्षेत्र को खत्म करने पर तुली हुई है| पहले भीमकाय जल विधुत परियोजनाओं, ऑल-वैदर रोड़, अनियोजित विकास के कारण लाखों पेड़ों को नष्ट किया जा चुका है। सर्वोच्च न्यायालय भी इस पर सवाल कर चुका है। उत्तराखण्ड का पर्यावरण के क्षेत्र में अहम योगदान है जिसे हमारी राज्य व् केंद्र की सरकारें लगातार नज़रअंदाज़ करती आयी है। सरकार पर्यावरण की हमारी विरासत को ख़त्म करने पर तुली हुई है | जिसके असंख्य उदाहरण हैं । यह सब करने से विकास की ओर नहीं बल्कि विनाश की ओर जा रहे हैं |
विरोध प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों ने बताया कि ‘किसी भी हाल में ऐसे विध्वंसकारी प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन नहीं होने देंगे, थानो जंगल अनमोल है, इसमें मौजूद हर पेड़ मायने रखता है’. मालूम हो कि उत्तराखंड वन विभाग और उत्तराखंड सरकार ने शिवालिक ऐलिफेंट रिज़र्व की 243 एकड़ वन भूमि को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) को देने का फैसला लिया है. प्रस्ताव के मुताबिक इसमें अलग-अलग प्रजातियों के कुल 9745 पेड़ काटे जाएंगे, इन पेड़ों में शीशम (2135), खैर (3405), सागौन (185), गुलमोहर (120) सहित 25 अन्य प्रजातियां शामिल हैं.
भारत ज्ञान विज्ञानं समिति के उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष तथा लम्बे समय से दून वैली के पर्यावरण पर नजर रखने रहे विजय भट्ट बताते है कि सरकार के द्वारा किया जाने वाला यह विकास पर्यावरण नियमों के विरुद्ध है| हम को वहनीय विकास चाहिए जिस को धरती सह पाए यह जंगल सह पाए, और यह विकास सहनीय विकास नहीं है पहले हमने नहरे खत्म की देहरादून की और नहर का अर्थ सिर्फ पानी नहीं खत्म हुए उस में रहने वाले जीव वनस्पति अनेकों प्रकार की वनस्पति नहरों उगती है जो कि सिर्फ नहरों में ही उग सकती है हमने देहरादून की सडकों के नाम पर नहरों को ख़त्म किया देहरादून के पर्यावरण का हम पहले ही बहुत नुक्सान कर चुके है| विकास जो होता है सिर्फ मनुष्य जीवन के लिए नहीं होता है विकास सभी के लिए होता है और यह जो रास्ता है सब के विकास का नहीं कुछ लोगो के विकास का है बहुत से जीव जंतुओं का यह विनाश करता है , अगर हम धरती को माँ मानते है तो यह पेड़-पौधे, जीव-जंतु यह सब खूबसूरती उस के संताने है और इस को नष्ट यानि धरती माँ जिस से जीवन है उसको नष्ट करना है ।
एस.एफ.आई. उत्तराखण्ड के प्रदेश अध्यक्ष बताते है कि राज्य देहरादून को अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की बात सरकार की तरफ से हो रही है जो कि बिल्कुल गैरजरूरी है क्योंकि राज्य में पहले ही पंतनगर में अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डा बनना प्रस्तावित है, एक उत्तराखंड जैसे राज्य में दो-दो अंतरष्ट्रीय हवाई अड्डे बनाने का अर्थ यहां पर विनाश को बुलावा है । साथ ही यह झूठी दलीलें भी सरकार के द्वारा दी जा रही हैं कि थानों के जंगल घने नहीं हैं और उनके अंदर वन्यजीवों की कोई मूवमेंट नहीं है। यह बातें बिल्कुल गलत हैं क्योंकि थानो के जंगल बहुत ही सघन और जैव विविधता से भरे हुए हैं और पहले से ही स्थित हवाईपट्टी में भी काफी जानवर आ जाना आमबात है। राज्य से लगा सहारनपुर सरसावा में हिंडन एयरबेस है, जहां से लड़ाकू विमान उड़ान भरते हैं और देहरादून और सहारनपुर की सीधी दूरी चीन अधिकृत तिब्बत सीमा से लगभग बराबर ही है|
सी.पी.आई.(एम) उत्तराखण्ड राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी कहते है कि उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में जल, जंगल, जमीन के सवाल बहुत महत्वपूर्ण है परन्तु प्रदेश व् केन्द्र में भाजपा सरकार इन सवालों को लगातार नजरअंदाज कर रही है | भीमकाय बाधों, आल वेदर रोड़ तथा रेलवे तथा अनियोजित विकास के नाम पर पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचा दी गई है । लाखों पेडो़ को नष्ट किया जा चुका है । अब देहरादून में एअरपोर्ट बिस्तार के नाम पर हजारों पेड़ो को उजाड़ने की तैयारी है, सकरार का यह कदम पर्यावरण विरोधी है |
उत्तराखण्ड कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने इस मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहते है कि यह विकास एक सतत प्रक्रिया है और विकास के रास्ते में यह सारी बधाऐं आती हैं, सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए थी जो चार धाम परियोजना के नाम पर लाखों पेड़ काटे गए उस के खिलाफ पहले से ही पूरे राज्य में एक बड़ा अभियान चलाते उस में वनीकरण करते और राज्य में वनीकरण अभियान चलाना चाहिए था | लगातार पेड़ कटते जा रहे हैं उसी प्रकार से एयरपोर्ट का विस्तार होना राज्य के लिए जरुरी है लेकिन 10,000 जो पेड़ कटेंगे उनकी जगह पेड़ कहां लगाए जायेंगे |अगर इसी तरह से वन कटते रहेगे तो और पेड़ लगाएंगे नहीं तो ऐसी स्थिति हो जाएगी जो राज्य में हमारा 47% वन है वो घटकर 20% भी नहीं बचेगा | विकास की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए लेकिन विकास के लिए अगर पेड़ कटते है तो 10 गुना पेड़ लगाए जाने चाहिए |
पूर्व कुलपति गढ़वाल विश्वविद्यालय व् इकोलोजिस्ट प्रो. एस पी सिंह अपनी राय रखते हुए कहते है कि बड़ा सवाल तो यह है की क्या जरूरत है अन्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट की? सरकार कहती है कि हमने पर्यटन को 10-15 गुना आगे बढ़ाया है | परन्तु क्या हम उससे पलायन को रोक पाए हैं ? यहां पर अन्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं है मात्र 4 से 5 घण्टे में टैक्सी से भी दिल्ली से देहरादून आ सकते है इसके साथ ही हवाई सेवा में भी यदि पूरा समय जोड़ा जाए तो औसतन 4 घंटे ही लगते है तो फिर इस विकास का क्या फायदा है |
थानो रेंज में 10,000 से अधिक पेड़ों की कटाई न केवल हाथी गलियारों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि इस क्षेत्र की पर्यावरण-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित कर सकती है. यहां पेड़ों के कटान से वन में मौजूद हाथी, गुलदार, चीतल, सांभर व अन्य वन्य जीवों के भविष्य के लिए बड़ा खतरा पैदा होगा, यहीं नहीं हवाई अड्डे के विस्तार के लिए दी जाने वाली जमीन राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसेटिव जोन के दस किलोमीटर के दायरे में पड़ती है और इसके तीन किमी के दायरे में एलीफैंट कॉरिडोर है, इतनी भारी संख्या में पेड़ों के काटे जाने की वजह से डोईवाला क्षेत्र में मौसम में भारी बदलाव होगा |
पर्यावरण और वनों के विनाश पर उत्तराखंड में विकास का कोई मॉडल नहीं हो सकता, उत्तरखंड के विकास के लिए यह अतिआवयश्क है कि का राज्य सरकार नीतियों को बनाते हुए सबसे पहले यह ध्यान रखे की वह पर्यवरणीय दृष्टिकोण से कितना सही है |
हिमांशु चौहान (लेखक डीएवी कॉलेज देहरादून में पत्रकारिता के छात्र है और साथ उत्तराखंड में छात्र आंदोलन में सक्रिय भूमिका रखते है)
एयरपोर्ट के विस्तारीकरण को दस हजार पेड़ो के कटान का विरोध शुरू
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