वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी स्व0 बी0एल0 सकलानी जी की तेहरवीं उनके शहंशाही आश्रम, राजपुर पर बेहद गमगीन माहौल में संम्पन हुई । तेहरवीं में पितृ प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता कुवंर जपेंदर सिंह व गोविंद ने उनके पुत्र को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही सरकार से बात कर के स्व0 सकलानी जी की अंतिम इच्छा “संग्रालय निमार्ण” को पूरा करवाने का प्रयास करेंगे। उत्तराखंड सयुंक्त परिषद के अध्यक्ष गणेश डंगवाल ने कहा कि सरकार को अविलंब उनके बेरोजगार पुत्र के रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सके । राष्ट्रीय उत्तरखण्ड पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष नवनीत गुसाईं ने भी सरकार से स्व0 सकलानी जी के परिवार को 25 लाख मुवावजा देने की गुजारिश की है।
उत्तराखंड चिन्हित राज्य आन्दोलनकारी समिति (रजि०) की केन्द्रीय अध्यक्ष सावित्रि नेगी ने कहा कि- “जाने वाले चले गए निशानियां छोड़ गए, अब हमें ही इन निशानीयों को संभाल कर रखना है . उत्तराखंड आन्दोलन का अपना इतिहास है जिसे आज सहेजना बेहद जरुरी है हमारी आने वाली पीडियों को पता चल सके कि कौन लोग थे जिनका नाम इन दस्तावेजों में दर्ज है उन्हें अपने इस आंदोलनकारी इतिहास के बारे में पता होना चाहिए. उत्तराखंड के लोगों को शर्म आनी चाहिए कि सकलानी जी उत्तराखंड की सरकार से कहते रहे और आखिर में शहीद स्मारक इस इतिहास के पन्नों को बचाने की बात कहते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी मगर हमारी सरकार, बीमार आदमी पर जबरन पानी डालकर उनसे दुर्व्यवहार पर उतारू हो गई जिस कारण २ दिन के बाद मौत के मुंह पर चला गया . खेर सरकार ने.ना तो कुछ करना था और न किया मगर अफ़सोस तो तब हुआ जब उनके परिवार ने बताया कि स्व० सकलानी जी के अंतिम समय में भी कि आस्थ्यी राजधानी में बैठ कर, बड़ी बड़ी बातें करने वाले राज्य आंदोलनकारी तथा कर्मचारी संगठनों के बड़े नेता भी उन्हें नौटंकीबाज कह कर उनका अपमान करता रहे .
इसके अलावा श्रद्धांजलि देने पहुंचे प्रमुख लोगों में उक्रांद की प्रमिला रावत,अरुणा थपलियाल, पार्वती रतूड़ी, मधु डबराल,सावित्री नेगी, उत्तराखंड सयुंक्त परिषद के जगमोहन सिंह,सूर्या भट्ट,शाह जी, लखेड़ा जी आदि ने भी सयुंक्त रूप से सरकार से मांग करी कि वह स्व0 सकलानी के द्वारा संभाल कर रखे गए उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दस्तावेजों का अधिग्रहण कर उसके लिए अविलंब एक भव्य संग्रहालय का निर्माण करें,अब इस राज्य में और उत्तराखंड आंदोलनकारियों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।पितृ प्रसाद में पहुंचे सभी आंदोलनकारियों का आभार जताते हुए उनके पुत्र चिंतन सकलानी ने सभी आंदोलनकारी साथियों से गुजारिश की कि जीते जी न सही किन्तु उनकी मृत्यु के बाद मगर उनके स्व0 पिता जी की अंतिम इच्छा कि उनके द्वारा 25 सालों से सहेज कर रखे गए इन आंदोलन के दस्तावेजों के लिए एक संग्रहालय का निर्माण अगर करवा सकें तो वही उनके लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।
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