श्रद्धार्थमिदं श्राद्धम् । श्रद्धया इदं श्राद्धम् ।।

हमारे पूर्वज हमारे अस्तित्व की नींव हैं।उनके कृतज्ञता का सम्मान करने का यह समय हम न छोडें। अनन्त कोटि कोटि नमन पूर्वजों का आशीर्वाद हम सभी को प्राप्त हो। मित्रों श्राद्ध कब और कौन कर सकता है यह जानना हमारे लिए बेहद अनिवार्य है । अपने परिवार के कल्याण हेतु पितरों का श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करना चाहिए। यदि उनका स्नेहपूर्वक श्राद्ध किया जाये तो वह गृहस्थ वंशज को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यदि उन्हें कुछ नहीं मिलता और वे कुपित होकर लौट जाते हैं।

श्राद्ध के प्रकार

नित्य श्राद्ध – यह श्राद्ध के दिनों में मृतक के निधन की तिथि पर किया जाता है।

नैमित्तिक श्राद्ध – किसी विशेष पारिवारिक उत्सव, जैसे पुत्र जन्म पर मृतक को याद कर किया जाता है।

काम्य श्राद्ध – यह श्राद्ध किसी विशेष मनौती के लिए कृत्तिका या रोहिणी नक्षत्र में किया जाता है।

कौन-कौन हैं श्राद्ध करने के अधिकारी

श्राद्ध के अधिकारी : पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए। पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है। पत्नी न होने पर सगे भाई को श्राद्ध करना चाहिए। एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है। पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं। पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं। पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने पर विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है। पत्नी का श्राद्ध व्यक्ति तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो। पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है। गोद लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी माना गया है। वैसे तो हर अमावस्या और पूर्णिमा को, पितरों के लिये श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। लेकिन आश्विन शुक्ल पक्ष के 16 दिन, श्राद्ध के लिये विशेष माने गए हैं। इन दिनों में पितृ प्रसन्न रहते हैं। आशीष देकर जाते हैं। उनके लिए किए जाने वाले श्राद्ध में इन 16 बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।

-तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है।
-ब्राह्मणों को भोजन और पिंड दान से, पितरों को भोजन दिया जाता है।
-वस्त्रदान से पितरों तक वस्त्र पहुंचाया जाता है

यज्ञ की पत्नी दक्षिणा है। श्राद्ध का फल, दक्षिणा देने पर ही मिलता है।

-श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त

इस साल पितृ पक्ष का कार्यक्रम निम्न है ।

बुधवार २ सितम्बर २०२० को पूर्णिमा का श्राद्ध प्रातः 10:52बजे तक । तदुपरांत प्रतिपदा ।

गुरु वार ३ सितंबर २०२० प्रतिपदा का श्राद्ध दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक ।तदुपरांत द्वितीय

शुक्रवार ४ सितम्बर २०२० को द्वितीय का श्राद्ध दोपहर बाद 2:24 बजे तक ।

शनिवार ५ सितंबर २०२० को तृतीय का श्राद्ध सायं 4:39 बजे तक ।

रविवार ६ सितंबर २०२० को चतुर्थी का श्राद्ध सायं 7:06बजे तक ।

सोमवार ७ सितंबर २०२० को पंचमी का श्राद्ध रात्रि 9:39 बजे तक ।

मंगलवार ८ सितंबर २०२० को षष्ठी का श्राद्ध रात्रि 12:3 बजे तक ।

बुधवार ९ सितंबर २०२० को सप्तमी का श्राद्ध रात्रि 2:06 बजे तक ।

वृहस्पति वार १० सितम्बर २०२० को अष्टमी का श्राद्ध रात्रि 3:35 बजे तक ।

शुक्रवार ११ सितंबर २०२० को नवमी का श्राद्ध दिनभर रातभर।

शनिवार १२ सितंबर २०२० को दशमी का श्राद्ध दिनभर रातभर ।

रविवार १३ सितंबर २०२० को एकादशी का श्राद्ध दिनभर रातभर ।

सोमवार १४ सितम्बर २०२० को द्वादशी का श्राद्ध रात्रि 1:30 बजे तक ।

मंगलवार १५ सितंबर २०२० को त्रयोदशी का श्राद्ध रात्रि 11:00 बजे तक ।

बुधवार १६ सितंबर २०२० को चतुर्दशी का श्राद्ध सायं 7:57 बजे तक ।

वृहस्पति वार १७ सितंबर २०२० को आमावश्य का श्राद्ध सायं 4:30 बजे तक

 

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