अगर दिल को रखना है ठीक तो नींद का रखें पूरा ख्यालः जोशी

-सेंट्रल अस्पताल में जागरूकता शिविर का आयोजन

-कालाढूंगी के विधायक ने किया उदघाटन
हल्द्वानी, अगर आप चाहते हैं कि आपका दिल हमेशा तंदरूस्त रहे और हृदय रोग की समस्या न हो तो अन्य प्रयासों के साथ-साथ यह जरूरी है कि आपको ठीक से नींद आए। इसके लिए बकायदा आपको शैडयूल बनाकर चलना होगा। एक स्वास्थ्य व्यक्ति के लिए रोजाना छह से सात घंटे तक नींद जरूरी है।

यह जानकारी स्थानीय सैंट्रल अस्पताल में आयोजित जागरूकता शिविर के दौरान रोगियों को संबोधित करते हुए कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.प्रमोद जोशी ने दी। इस अवसर पर आयोजित किए गए शिविर के दौरान रोगियों की जांच भी की गई। शिविर का उदघाटन कालाढूंगी के विधायक बंसीधर भगत ने किया। इस अवसर पर विधायक ने भी आम लोगों के साथ बैठकर अपने हृदय की जांच करवाई।

जागरूकता शिविर के बाद पत्रकारों से बातचीत में डॉ. प्रमोद जोशी ने कहा कि पर्याप्त नींद की कमी धूम्रपान या मधुमेह के समान ही हृदय रोग को बढ़ावा दे सकती है। उन्होंने कहा  कि स्लिप डिसआर्डर वाले लोगों में कार्डियोवैस्कुलर बीमारी की व्यापकता 1.5 गुना अधिक पाई गई है, जबकि सामान्य मात्रा में सोने वाले लोगों की तुलना में कम सोने वाले लोगों में दिल का दौरा जैसे सीवीडी का खतरा दोगुना पाया गया है। कम नींद का संबंध लिपिड/कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने से भी पाया गया है जो दिल के दौरे के लिए एक प्रमुख ट्रिगर है। उन्होंने कहा कि दिल पर अपर्याप्त नींद के प्रतिकूल प्रभावों को धूम्रपान या मधुमेह के समान ही खराब पाया गया है। डॉ.प्रमोद जोशी ने कहा कि हमारे निष्कर्ष स्लिप डिसआर्डर और कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के बीच संबंधों पर दुनिया भर में किये गये लोकप्रिय वैज्ञानिक अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि मेटा-विश्लेषण के परिणामों की तुलना हमारे क्लिनिकल ऑब्जर्वेशन के निष्कर्षों से की गई और हम उनमें समानता देख सकते हैं। इसका मतलब यह है कि स्लिप डिसआर्डर उत्तराखंड क्षेत्र के लोगों के लिए एक बड़ा जोखिम कारक है। उन्होंने कहा कि कोरोनरी हार्ट रोग (सीएचडी)-‘‘हार्ट-अटैक’’ का प्रकोप भारत में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति आदर्श आहार नहीं खाता है या उचित मात्रा में शारीरिक गतिविधि नहीं करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि एक व्यावहारिक, यथार्थवादी योजना का पालन करें जो धीरे-धीरे आपमें हृदय रोग विकसित होने की संभावना को कम करेगा।