गोपेश्वर, अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार विजेता पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा विकास और पर्यटन संवर्धन नीति को स्थापित करने की सोच को क्रियान्वित करते समय जल, जल, जंगल और जमीन की मौलिकता का प्रमुखता से ख्याल रखने की बात कही है। उन्होंने पर्यटन को लेकर बेहतर नीति बनाने की बात कही। ताकि पर्यटन से लोगों की आर्थिकी में सुधार हो सके। गोविद घाट में स्टेट यूनियन ऑफ वर्किग जर्नलिस्ट की ओर से आयोजित पर्यटन विकास में मीडिया की भूमिका विषय गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड का तीर्थाटन और पर्यटन सदियों से दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता आया है। हमें इसे चकाचौध वाला नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ साम्य बनाने वाला तीर्थाटन व पर्यटन बनाना होगा। भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक सुंदरता की कमी नहीं है, लेकिन प्रकृति तभी तक खूबसूरती बिखेरेगी जब इसे संवर्धन के लिए भी कार्य किए जाएं। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन जीवन के आधार हैं। सतत और टिकाऊ विकास तभी हो पाएगा जब पर्यावरण संरक्षण और विकास के साथ तालमेल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की प्राकृतिक खूबसूरती को यहां के परंपरागत ज्ञान, विज्ञान के आधार पर ही पर्यटन विकास हो तो यह टिकाऊ व हितकारी होगा। उन्होंने 2013 की आपदा का जिक्र करते हुए कहा कि तब अनियोजित विकास के कारण ही आपदा के रूप में लोगों को प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिला था। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र जीत सिह बिद्रा ने कहा सरकार को उत्तराखंड के पर्यटन संवर्धन के लिए संसाधनों के विकास पर ध्यान देना होगा। प्रकृति को नुकसान दिए बिना ही हमें पर्यटन व तीर्थाटन को आगे बढ़ाना होगा। कहा कि अगर सरकार सिर्फ पर्यटन विकास के क्षेत्र में ही नीतियां बनाकर यहां के ग्रामीणों को आगे बढ़ाए तो निसंदेह पर्यटन आर्थिकी का मजबूत जरिया बन सकता है। लेकिन सरकार तो ऐसे औद्योगिक विकास के मार्ग पर चल रही है जिसमें यहां के संसाधनों को उद्योगपति बनकर सब्सिडी का लाभ तक सीमित रह रहे हैं। इस सम्मेलन में स्व चंद्र बल्लभ पुरोहित सिरोमणि पत्रकारिता पुरस्कार से श्रीलंका के वरिष्ठ पत्रकार मुदिथा करियाकरवाना व बी मोहन नेगी चित्रकला पत्रकारिता पुरस्कार से पत्रकार व चित्रकार शशिभूषण मैठाणी को नवाजा गया। सम्मेलन में “ पर्यटन विकास में मीडिया की भूमिका “ विषय पर देश के अलग अलग इलाकों से आए पत्रकारों ने अपने अनुभवों को बांटते हुए कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक खूबसूरती लोगों को बरबस अपनी ओर खींचती है।।
कार्यक्रम में कलश संस्था ने कवि सम्मेलन का आयोजन किया। नामचीन व नवाकुंर कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ी तथा बधाणी संस्था के कलाकारों ने जीतू बगडवाल सहित गढवाली लोकगीत, लोकनृत्य से समां बांधे रखा। इस अवसर आइएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय महामंत्री परमानंद पांडे, उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी, श्याम बाबू, प्रदेश अध्यक्ष शंकर दत्त शर्मा, बी एस ¨झक्वाण, सुनील थपलियाल, गणेश कुकसाल गणि, गुरुद्वारा प्रबंधक सेवा सिह सहित कई पत्रकार मौजूद थे।