उत्तराखंड में नगर निकायों के चुनाव का बिगुल बज चुका है। आने वाले दिनों में राज्य के 84 नगर निकायों के लिए कई उम्मीदवार मैदान में होंगे। आमतौर पर नगर निकायों के चुनाव में प्रत्याशी सड़क, नाली, सफाई जैसे मुद्दों से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। जबकि आज के दौर में शहरीकरण की नई चुनौतियां हमारे सामने हैं। मेरा मानना है कि इन चुनावों में निकायों के मेयर और अध्यक्ष पदों के लिए जो भी उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे, उन्हें एक बड़ी सोच के साथ आगे बढ़ना होगा और चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को इसी सोच को सामने रखकर शहरों के सतत विकास (Sustainable Development) के लिए कार्य करना होगा। यह भी ज़रूरी है की पांव जमीन पर हों, लेकिन सपने वैश्विक स्तर के होने चाहिए, तभी हम अपने प्रदेश के शहरों को अच्छे, साफ सुथरे, विकसित शहर की श्रेणी में लाकर खड़ा कर पाएंगे। इस मामले में मैं भावी प्रत्याशियों को कुछ सुझाव देना चाहूंगा-
1. शहरीकरण की आज नई चुनौतियां हमारे सामने हैं। इसके लिए हमें एक विशाल दृष्टिकोण अपनाना होगा। मेयर अथवा शहरी निकायों के अध्यक्ष के पदों पर आसीन होने वालों को सरकार की कन्वर्जेन्स की सोच को आगे बढ़ाते हुए अमृत, स्वच्छ भारत, स्वच्छ सर्वेक्षण, प्रधान मंत्री आवास योजना, National Urban Livelihood Mission (NULM,) स्मार्ट सिटी, डिजिटल इंडिया जैसी शहरी योजनाओं को ध्यान में रखते हुए समनव्य करने का प्रयास करना होगा
2. आमतौर पर देखा गया है कि शहरी निकायों में जनभागीदारी के दावे तो अवश्य किए जाते हैं, लेकिन वास्तव में निकायों की शासन व्यवस्था में जनभागीदारी का पूरी तरह अभाव होता है। आम लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं। अतः उम्मीदवारों को इस मामले में अपना दृष्टिकोण पहले ही स्पष्ट करना चाहिए और चुनाव जीतने के बाद इस पर गंभीरता से अमल भी करना चाहिए।
3. आज का दौर तकनीकी का दौर है। चुनाव के बाद शहरी निकायों पर आसीन होने वाले व्यक्तियों को इस तरफ ध्यान देना होगा कि वे शहरी मुद्दों के समाधान में तकनीकी का किस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, सिर्फ सोशल मीडिया को इस्तेमाल करने को तकनीक कहना गलत होगा I GIS मैप्स, ऍप्स इत्यदि के सहयोग से शहर के विकास पर काम करने की ज़रूरत है I
4. विकसित शहर डाटा (Data Driven) के आधार पर निर्णय लेते हैं I उम्मीदवारों को डाटा मैनेजमेंट की बारीकियों पर ध्यान देने की ज़रूरत है I उम्मीदवारों को जनता को यह भी बताना चाहिए की वो चुनाव जीतने के बाद किस तरह शहरी मुद्दों के समाधान के लिए डाटा का इस्तेमाल करेंगे।
5. उम्मीदवारों को अपना विजन मतदाताओं के सामने रखना चाहिए कि वे चुनाव जीतने के बाद किन क्षेत्रों को प्राथमिकता देंगे और शहर को लेकर उनका सपना क्या है, यह पहले ही स्पष्ट करना चाहिए और चुनाव जीतने के बाद उस पर प्राथमिकता से अमल भी किया जाना चाहिए।
आज प्रदेश के प्रतिष्ठित अख़बार हिंदुस्तान ने निकाय चुनाव और देहारदून के मेयर को लेकर हम जैसे आम जानो की आवाज़ो और अपेक्षाओं को सुनने और समझने की शुरुआत कर दी है I आज के संवाद की एक झलकी, बाकि फेसबुक और पर विचारों की श्रंखला जारी रहेगी।
आपका, अनूप नौटियाल