कभी सुना है इसे.. अगर नहीं तो फ़िर कुछ नहीं सुना ये हैँ पार्थ सकलानी, अपने जयदीप सकलानी उर्फ़ दिप्पू सकलानी के साहबजादे जो इंग्लैंड कि “बाथ यूनिवर्सिटी ” में पड़ रहें हैँ और आजकल हिंदुस्तान वापस आये हुए हैँ। कोरोना के कारण घर में बैठ कर ही अपने पुराने शौक(गीत – संगीत ) पूरे कर रहें हैँ. उन्हीं के द्वारा गाया गया ये गीत आपके सामने है सुने और कमेंट करें. अच्छा लगे तो शेयर भी कर सकते हैँ।