नई दिल्ली : जब से केन्द्र में भाजपा सरकार आई है, तब से फर्जीवाड़े में काफी हद तक रोक लगी है। लेकिन एक नया मामला सामने आ रहा है, कि भाजपा शासनकाल में अब 935 करोड़ का मनरेगा घोटाला सामने आया है।
वर्ष 2014 में देश की कमान नरेन्द्र मोदी के हाथों में आई भारत में भ्रष्चार खत्म करने के लिए कई कदम उठाये, लेकिन विदेशों में पड़े काले धन को वापस लाने का दावा किया था। लेकिन अब तक इसमें प्रधानमंत्री कामयाब नहीं हो सके हैं। 2014 से अब तक विदेशों में पड़ा कालाधन दोगुना हो चुका है।

ऑडिट में हुआ मनरेगा घोटाले का खुलासा


सूत्रों के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग के तहत सामाजिक लेखा परीक्षा इकाइयों ने मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में बीते चार वर्षों में 935 करोड रुपए का घोटाला सामने आया है। मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार दिया जाता है। वर्ष 2017 से लेकर साल 2021 तक सिर्फ 12.5 करोड रुपए की ही भरपाई हो पाई है।

दरअसल एसएसयू  द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की दो लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतों में बीते 4 सालों में ऑडिट किया गया है। जिसमें केंद्र सरकार ने साल 2017-18 में मनरेगा के लिए 55,659.93 करोड़ की राशि जारी की थी। साल 2017 से लेकर साल 2021 तक इस राशि में बढ़ोतरी हो रही है। साल 2021 में इस योजना पर जो खर्च हुआ है। वो राशि 1,10,355.27 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

सबसे ज्यादा गड़बड़ियां तमिलनाडु में


एसएसयू  द्वारा किए गए ऑडिट में कई वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं। जिनमें फर्जी लोगों और सामान के फर्जी विक्रेताओं को उच्च दामों पर भुगतान करना और रिश्वत देकर काम करवाना शामिल है। यह वित्तीय गड़बड़ियां सबसे ज्यादा तमिलनाडु में हुई है।