अरे भुरु, क्या ला तेरी पार्टी डाम कु करनी, महंतजी न पुछि  ?पर उत्तरप्रदेश म हमारी सरकार थोड़ी, बनमाली न बोलि . अरे तुमारी सरकार होंदी त वु क्या कद्दू पर तीर मारदी भुला, प्रिंसिपल पैन्युली साब न बोलि ? भैजी, एक मिनट, अभी देखो मजा, गुलशन न बोलि. अरे लखन , ओ लखन, यहाँ आ यार कामरेड, त्वे गुरूजी बुलोंण लग्याँ .
 प्रिंसिपल साब नमस्कार, कामरेड न बोलि. अबे महंतजी क्या बोल्ना, “ यि कम्युनिस्ट कखन सेयां,धरना –प्रदर्शन केक नि करना अच्कालु, डामवालों का खिलाफ ” ?
अब भाईजी, क्यों मेरा मुंह ख़राब करवाते हो ? “ कुर्सी का मजा तुम लो, माल तुम कमाओ और साले डंडे हम खाएं, जेल भी हम जाएं ? शहर में कोई एकता है क्या, पहले बताओ ?
भूमिधर एक तरफ, किरायेदार दूसरी तरफ ,वकील लोग तीसरी तरफ ? अबे ,किरायदारों को किस बात का मुआवजा ,भवानी औंदा –औंदा बहस म कूद पड़ी . महंत जी एक विल्स देणा जरा वैन बोलि.भाईसाब नमस्कार, वैन प्रिंसिपल साब तैं बोलि आर बाकी लोगों से हाथ मिलाई.
अरे भाईजी , जिन्होंने 20-30 साल गुजारे इस शहर में, जिनके बच्चे बड़े हो गए इसी शहर में, वो बेचारे कहाँ जाएं , उनकी भी तो सोचो यार, लखन न बोलि . अरे यार ऊंकी संपत्ति थोडा यख, वु त नौकरी करणक यख पड्यां, भुरु भाई न बोलि . गुरु मानवता के लिहाज से भी सोचो जरा, लखन न बोलि. 
अर वकीलु कु क्या जु वु तैं अलग से चैंदु , महंतजी न बोलि ? अजी परसी मेरी ये ही मुद्दा पर नेगीजी से बहस ह्व़े पड़ी, भवानी न बोलि. टी.एच.डी. सी कु क्या ,व त बांटो अर राज करो की ईस्ट इंडिया कंपनी की नीति पर चलनी ?
सुणाजी प्रिंसिपल साब, ब्याली भौत मजा आई, माँ कसम . यनु ह्व़े कि, सलीम भाई की दुकानी पर एक इंजीनियर आई जुत्तु खरीदणक, बातु –बात्तु म वैन बोलदिनि कि, टीरीवालों की त बड़ी चांदी ह्वेगी . अब सलीम तैं त तुम जांणदा, कट्टर बांध बिरोधि ? बस सटकगि सलीम की खोपड़ी, वैन जु सुणाई वै इंजीनियर तैं ,त वैकी सिट्टी –पिट्टी गुम ह्वेगी . 
सलीम न बोलदिनी, मुझे नि बेचणा आपको जुत्ता, भाड़ में गई ऐसी दुकानदारी. अजी, भीड़ जमा ह्वेगी. वु त अपणा चार –पांच लोगु न पकड्यालि सलीम तैं, वरना वु धरदु थौ वैका तीन –चार धप .
अर एक मजेदार बात और सुण भुरु भाई, गुरूजी आप भी सुणो, गैरोलाजी अब बाँध विरोधी ह्वेग्या. कबरी बिटि, बनमालिन पुछि ? अरे परसी वु भूस्वामियों की मिटिंग म पौंछग्या अर लगिन डामवालों तैं गाळी देंण. बड़ा तैं केक चढ़ी होली यनी टांण, लखन न बोलि .
अच्छा गुरूजी, यां से भी मजेदार खबर सुणोंदु, भवानिन बोलि, सुप्रीमकोर्ट न जनहित याचिका स्वीकार करयालि . अच्छा पैन्युलीजी न बोलि, य त बढ़िया खबर सुणाई यार . 
अच्छा माना, आज डाम रुक भी जाऊ अर सरकार अपणा पैसा वापिस मांगु त आधा लोग त वापिस कर भी न सकुन ? क्यों गुरूजी गलत बोल्णु मै, बनमालिन बोलि ? ना –ना य त एकदम सही बात. आधा त वन्नी खै-पीक़ टल्ली ह्वेगिन, कुछ नि बच्युं ऊंका पास, बल्कि वु त सोचणा कि थोड़ा भौत हौर मिलजाऊ सरकार बिटिन, भवन सहायता वगैरा ? पलाट त बेचिक पैल्ली खयालिन ? अर नई टीरी म सुद्दी घुस्याँ भौंकैका फलेट पर, बाकी बाद कु बाद म देखे जालु, प्रिसिपल साब न बोलि.
नमस्कार वकील साब, कविजीन मेज पर पड़यूँ अंग्रेजी कु अखबार उठाई अर ख़ास –ख़ास खबर देखण लैगिन .मास्टरजी थपल्याळजी, य रिपोर्ट मैतैं आज ही मिलि, भू-वैज्ञानिक डाक्टर गौड़ साहब न भिजवाई . य हिमालय का भूकंप –संवेदनशील क्षेत्र का बारा म छ . यु देखा , यख म साफ़ लिख्युं कि, हिमालय का ये क्षेत्र म बड़ा भूकंप औंण की संभावना छ ?
परसी मेरी डाक्टर जुयाल से भी बात ह्व़े , जुयाल साबन भोळ फिर फोन कर्र्ण ,वु एक हैक्की रिपोर्ट की खोज म छन ,जु अमेरिकन वैज्ञानिकोंन दिनि थै , ये बाँध का खिलाफ, पर सरकार यनी चीज बतौंदी थोड़ी ?
मास्टरजी, जरा ये ड्राफ्ट तैं देखादौं ? सिंचाई मंत्री तैं लिखीं या चिट्ठी .हमारू जु विरोध छ, वु तमाम तकनीकि मुद्दों पर छ .यीं बात तैं लोकल लोग भी कम ही जांणदान ? ले भाई विक्रम टाईप कर ये तईं . परसी संघर्ष समितिवाला भी था आयां, सेमल्टीजी कौंका. शायद ये मैना पंद्रह तारीख वुंकू चक्का-जाम छ रख्युं .वून भी मुख्यमंत्री ,सिंचाई मंत्री , प्रधानमंत्रीजी तैं ज्ञापन छ भेज्युं .
बहुगुणाजी न भी वनि उपवास की घोषणा छ करीं पर सरकार शायद ही डाम का विरोध म कुछ सुणलि ?
सबसे पैली, जब राजमाताजी न डाम का विरोध म बोलि थौ, तबरी शायद हम लोग कुछ करदा त जादा अच्छु रंदु ? अब तक त डाम कु काफी काम ह्वेगी फिर भी जतना हमसे होलु ,हम अपणी कोशिश जारी रखला. 
ई  देखा थपल्यालजी रॉबर्ट जाँनसन की रिपोर्ट, जैम एशियन अर योरोपियन प्लेट यक्खी अगाड़ी डोबरा म मिलण कु उल्लेख छ .ई प्लेट जब आपस म टकरांदिन तब भूकंप औंदु .अमेरिकन वैज्ञानिकोंन यांक ही ये बाँध का पक्ष म अपनी राय नि दिनि. 
अब सुणि सरकार ये बाँध का पक्ष म रशियन वैज्ञानिकों से राय मांगणी. पर साब यख डाम बणोंण कु ख़याल कने आई सरकार का मन म, कविजीन पुछि ?                                                                                                                                                                                                                                                                                                                         
                                                     
( बाकी फिर )
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