रातदिन डाम कु काम चल्दु रंदु थौ.जय प्रकाश कंपनी का ट्रक रात-दिन धूलु –माटु उडौंदि रंदा था अर यु अहसास करौंदा था कि, अब दिल्ली दूर नहीं ? बुलडोजरू का हल्ला से भी यनु महसूस होंदु थौ कि, काम बड़ा ही जोरशोर से चल रये. राज महल का सामणी, भूकंप वेधशालावाला पाखा पर पावर हॉउस की सुरंग कु काम भी शुरु ह्वेगी थौ .फिर भी लोग बोल्दा था कि, डाम नहीं बनेगा ? घोडू बाघ देखिक आँखा बंद थौ करणु अर बाघ थौ कि .क्षण प्रतिक्षण विकराल बंणदि जाणु थौ .
हौर ,तुमारु कार्यक्रम कनु भाई चल्नो, बहुगुणाजी न छुन्नी कौं तैं पुछि ? अजी साब हम भी लग्याँ धरना प्रदर्शन पर, परसी हमन मशाल जलुस भी निकाली थौ, छुन्नी न बोलि . एक –दुई लोगु न बहुगुणाजीका सामणी पुनर्वास कु मुद्दा भी उठाई . अजी हम कह रहे हैं कि, डाम ही नहीं बंणना चाहिए और आप पुनर्वास की बात कर रहे हो, ईसा भाई न बोलि . बहुगुणाजी मंद –मंद मुस्कांदी रैन . त आप लोग करि करा पुनर्वास की बात, मेरु विरोध, थोड़ीपर मेरु अपणु अलग मुद्दा छ ?
अजी, मिजे क्या मालुम कि, इस कागज में क्या लिक्खा ? मै तो अनपढ़ आदमी , मजदूर आदमी, तुमी पढ़के बताओ न मिजे ? सुणो जी भाईजी, आप पैले अपणे कागज पूरे करलो, फिर परछेक सुबेर दीद्या मै तैं, ठीक है भाईजी, फिर मै अपणे आप करूँगा साब से बात ? अब खर्चा-पाणी तो देणा ही पड़ेगा साब , सिद्दी सी बात, बाकी मै अपणे आप सेट करता हूँ, समझे गुरूजी ? बस कागज़ पूरे होणे चाहिए .
सच्ची होलु यार यु अनपढ़, बात्तु न त गजब कु सयाणु लगणु , मुस्सी न अपणा दगाड़यों तैं बोलि. माँ कसम भाईजी , मै पढ़णु –लिखणु कुछ नि जांणदु, खुदा कसम .मै, अगर पढता न भाईजी, तो ऐसी एक जे.पी.कंपनी अपणी भी होत्ती. अच्छा खाता –खतौनी की नक़ल है आपके पास ? अजी तो तहसील से निकाल लो सौ –पचास दे दिवा के, वो तो बाद में भी आपके काम आजागी. आप ऐसा करो कि, मेरा नाम लेके चले जाओ उस औफ़िस में. वहां कू एक बाबु है नकोटी , बस बोल्ना कि, नुकटी ने भेजा है .
लो बीड़ी पियोगे, लगाऊं आपके लिए भी, नुकटी न पुछि ? नहीं तो चाय पियोगे, नुकटी न फिर पुछि ? अजी मैंने, जादा पैसे क्यों लेणा भाईजी आपसे ? दे देणा आप किसी को भी पूछके ? अच्छा आप किसी को भी पूछके ट्राई करलो ये काम की खातिर, देखो कितना टैम लगे ? भाईजी वो आपको ऐसे ही चक्कर कटा देंगे महीनों , मै तो अनपढ़ आदमी, सीधा लग जांदु  उनके मत्थे ?
देखो भाईजी तीन –चार सौ तो हमने भी कमाणे आपसे, सीधी –सच्ची सी बात ? नितर आप गोस्वामी से पुछल्या, गणेश के पास जावा, तब बोल्ना मेरे कु ? भाईजी आप के गांव के घुस्सू का काम भी मैंने ही किया, अर वो नि किरपा, वैकु काम भी मैंने ही करी और डोबरा के सुंदरु को जाणो आप ,सबने हाथ खड़े कर दिए थे, तब वैकु काम भी मैंने ही करा ? नुकटी खान को जो कोई गलत बोल द्युलू, मै भाईजी आपका काम फ्री में करूँ ?
यहाँ आ बे ओ कूती, अबे भुतनी के भाईजी के सब कागज़ चैक कर, फिर मेरे कू बोल .भाईजी, एक लोग आ रहा, मै जरा वै तैं मिल्दु, आप परसेक मिलणा मेरे कु ? बेटा कूति, नियाज कौंके आये थे बल, चलगे होंगे क्या ? आज तो जुम्मा भी है, नमाज का टेम भी हो गया ,ले तू बीस रुपे रख, मै चलता हूँ . मै जरा खाणा खाके आता हूँ ? वो सोनी बाबु पैसे माँगे तो एक पैसा मत देणा, समझ गया ना बळ ?
महंतजी नमस्कार. एक एक सौ बीस ,पीली पत्ती और किमाम का पान लगाणा, चुन्ना तेज महंतजी . और भाई भुरु नेता, क्या हाल छन तेरा ? बस ठीक हैं महंतजी, दो बत्ती पनामा भी देणा . ओ बनमाली, कहाँ भाग रहा है यार, सुण तो सई, ले आ पान खा ?  महंतजी नमस्कार ,तबरेक प्रिंसीपल पैन्युली साब अर हटवाल वकील भी ऐगिन .
महंतजी की दुकान भी बुद्धिजीवियों कु एक अड्डा थौ. वकील ,डाक्टर, इंजीनियर,अफसर अर टीचर सभी महंतजी का पान का मुरीद था . सामाजिक ,राजनीतिक, धार्मिक अर अंतर्राष्ट्रीय, सभी मुद्दों पर चर्चा होंदि रंदी थै वख, खुली सड़क म बहस.
ब्याली भू-स्वामियों की मिटिंग थै बळ सुणी ? तु भी थौ मिटींग म जायुं , बळ, भुरु नेता न बनमाली तैं पुछि ? मै पहुंच्यों त मिटिंग ख़तम होंण पर ऐगी थै ?  क्या ह्वे मिटिंग म, कुछ ख़ास, भुरु न पुछि ? ना ,न कुछ खास नी, वन्नी पैली की तरों, वनमाली न बोलि.
एक पुनर्वास कु प्रश्न थौ, हैकु बेरोजगारों सणी नौकरी देंण कु प्रस्ताव थौ.यन्नी बस दुई –चार छोटा-मोटा मुद्दों पर चर्चा. कतना लोग था वख मिटिंग म, भुरु न पुछि ? यही कुछ 40-50 मनखी त रै होला .हौर क्या बात ह्व़े ? पुनर्वास कु मुद्दा ,बालिग़ व्यक्ति तै अलग परिवार मानण कु मुद्दा ,वाले प्रत्येक तैं पूरी सुविधा दिए जाऊ, विस्थापन भत्ता की रकम बढाए जाऊ, एक नंबर वार्ड से चार नंबर वार्ड तक भी, 30 रूप्या वर्गफिट की दर से जमीन कु मुआवजु दिए जाउ,, स्थानीय व्यक्तियों तैं, नौकरी म प्राथमिकता दिए जाऊ ?
( बाकी फिर )