( धरना म ) ——- कख लिनी दिदी या साड़ी ? अरे यख्खी लिनि , मयूर का यखन, वैका यख की साड़ी अच्छी रंदिन, डिजैन भी खूब रख्दु वु .रामचंद्र अर मुकेश कौंका त बेकार व्हेगिन अब . पैली कतना अच्छा चल्दा था वु ? पर बिलौज थोड़ा ठीक नी सिल्युं, फ़िटिंग जरा बेकार .अच्छा, खूब नी लगणु, सुशीला न किरण तैं पुछि ? माधुरी त थै बोल्नी कि, बिलौज अच्छु सिल्युं ? वनु त ठीक, चल जालु .
वीणा न किरण तैं बोलि , अरे त्वे क्या जरुरत थै सुशीला तैं बोल्न की, बिलौज ठीक त थौ ? मैंन जाणीबुझिक बोलि यार,व दिदी भी सबुकि मीनमेख निकालदी रंदिन ? अब छोरी वींन माधुरी का सर ह्व़ेजांण ? मै पता वीणा, मैंन खूब गाळी खांणन पर सुशीला दिदी कु भी थोड़ा मूड –ऑफ़ होयुं चैंदु ?
स्वेटर की ऊन लि भी खाली याली त्वेन , कुंती न रामेश्वरी तैं पुछी ? न दिदी ,भोळ चलला दिन म, बच्चा भी स्कूल म रला, रंदिन तबरी अर रंग भी घाम म ही ठीक दिखेंदु ? दिदी, फेरीवालों की भी त अच्छी रंदी ऊन ? ना भुली ,एक त रंग की गारंटी नी अर हैकी बात या कि, अगर जु कखी ऊन कम पड़ी त फेर मुश्किल ? हाँ, वु त छंदे यार ? पर दिदी तेरी सासु न नि बोल्न कुछ ? अरे भुली, घर कु काम त मैंन ही करण, मै बोल्लु की यूंन ही बोलि थौ कि, तुई लिये ? अर क्या हम चोरी करना कुई ? ठीक तब, भोळ डेढ़ –दुई बजी फंडू चलला ?
अरे ,व दिदी किले होलि कंपणी ? बुखार होलु वीं सणि क्या ? अरे छोरी वीं पर देवी औंदी, त्वे नी पता क्या ? तबरेक “ आदेश — आदेश शब्द की दुई –चार सिंह गर्जना ह्व़े अर सबकु ध्यान वख चलगी . कुई धुपाणु लाई , कुई आरती अर कुई गंगाजल. सभी हाथ जोडिक खड़ी ह्वेगिन. कै,कै डर भी थै लगणि.
शांत ह्वे जा माता शांत, दुई –चारू न बोली. अर देवी न फिर जोर से किलकारी मारिक एक हुंकार भरी “ आदेश — आदेश . बाळ बिखरयां, मुट्ठी बंद ,आँखा बंद, चेहरा पर कठोरता का भाव,बदन कांपण लग्युं देवी अब नाचण लैगी. अब कैन ज्युंदाल दी दिनी देवी का हाथ पर .कुई धूप- धुपाणु घुमौंण पर लग्युं . हे भगवती डाम न बणु, जु सच्ची मेरी भगवती होलि, एक जनानिंन बोली .यूँ की सुरंग टुट जाऊ भगवती, यनी किरपा करी माँ ?
देवी न कुछ नि बोलि. धीरा ,धीरा देवी शांत होंण लैगी अर पांच मिनट का भितर सभी कुछ सामान्य ह्वेगी. यीं दिदी पर दक्खिण काळी औंदी, सुमित्रा न बोलि .कई जनानी, जूंकु यनी घटना से कभी वास्ता नि पड़ी थौ, वुंकि त डर का मारा जान ही निकल्गी थै कि कखी देवी ऊं पर हमला नि करद्यो ? लोगु लगदु थौ कि देवी –देबता कुई चमत्कार जरूर दिखाला अर डाम सैद बंद व्हेजालु ?
भगतु न साब की मेज पर एक जोरदार मुक्का मारिक तैं पुछी, “ क्या व्हे साब हमारा पुनर्वास कु ” ? पचास बखत हमन ये दफ्तर का चक्कर मारिन ,पर कुई सुणवाई नी, यनि क्या अंधेरगर्दी तुमारी मचाईं ?
क्या हुआ ,क्या दिक्कत है, गुप्ताजी न बड़ा प्रेम से पुछि ? मैं सणि जु पलौट दिन्युं तुमारु, वख कुडु त क्या, कैकु पितरकूडु भी न बणु . मैंन सोची जेठ का मैना मकान बणोलु पर वख त छूड़ी दुंगा छन . पैली तुमन हम पाणी म डुबायाँ आर अब हमारा भविष्य पर भी पाणी फेरना ?
ऐसा है पंडितजी ,आपको परेशानी है तो आपका प्लाट बदल देते हैं, क्या दिक्कत है ?
अरे शिवप्रसाद जरा दो बढ़िया चाय लाना. साब तुमारु कामकाज ठीक नी. यि औफ़िसवाला, सुद्दी रंदा लोगु तैं दौडोणा, मेरा खुद बीसों चक्कर व्हेगिन ? यना न त सन तीन हजार तक भी सैद कखी डाम न बणयांन ? लो आप चाय पिओ, नाराज न हो, मै देखता हूँ, हम किसलिए हैं ?
अरे बड़े बाबू जरा इनकी फ़ाइल निकालो. साब आज भगतसिंग छुट्टी पर है. तो असवाल को बोलो ? साब, वो भी अभी तक नहीं आया है . कहाँ गया है, कहीं भेजा था क्या ? न साब, वु थोड़ा लेट औंदु . अच्छा, नौटियाल कहाँ है ? साब वु भी अभी नि आई ,बस औण ही वालु छ .
अरे भाई ,कर क्या रहे हो तुम लोग, नौकरी कर रहे हो या मजाक ? यहाँ पबलिक हमारे सर पर खड़ी है, कहो किस –किसको क्या जबाब दें ? अभी लेटर टाईप करो और पूछो सबसे .
साब ,यि जु लोकल क्यान बाबु लोग, यी जादा हराम न, भगतु न बोलि . बड़े बाबू, मुझे दस मिनट में मेरी मेज पर फाईल चाहिए, आप देखो क्या करना है ? अच्छा पंडितजी आप एक घंटे बाद, तब तक ईधर –उधर का काम निबटा के आ जाओ , मै देखता हूँ . नहीं तो कल आ जाओ पर बारह के पहले आना, उसके बाद मेरी मीटिंग है ?
साब तुमन यु ठीक नि करी, कीर्ति चपरासी न भगतु तैं बोलि . भगतु न दफ्तर बिटि भैर ऐक एक सिगरेट सुलगाई अर लंबी –लम्बी सोड़ थौ मारनु .क्या ठीक नि करी बे, भगतु न पुछि ? वुई, बाबु लोगु की शिकायत, कीर्ति न बोलि .
मैंन क्या शिकायत करि बे अर कै बाबू कु नौ लिनी ? “ अबे आधा पब्लिक त तुमसे परेशान . अबे, लोकल ह्वेग्या तुम, यांक लोग चुप्प रंदा, नितर तुमारा त बेटों का ऐना खैंची-खैंचिक डंडा मारयां चैन्दा कि —– बडु आई साला बाबुओं कु चमचा, चल भाग नितर यनु द्युलू बेटा का एक कि,तेरी सात पुश्त याद करलि ? ”
अरे साब तुम त नाराज ह्वेग्या. अच्छा छोड़ा एक सिगरेट त पिला, मै खोजलु तुमारी फाईल. वनु ठीक करी भेजी तुमन, हड़कायाँ भी चैंदा छदेंन कभी –कभी, अच्छु भैजी नमस्कार. मै आफु खोजदौं तुमारी फाईल,तुम चिंता न करयांन .
अरे भुला पुरषोत्तम, भगतु न आवाज दिनि. अरे भुला, कख दुरु-दूरू बिटिंन भाग्णु ? ओ हो, भैजी नमस्कार, माँ कसम मैंन देखी नी भैजी.
अबे केक देखंन तुमन, अब त बेटा आस्मांन पौंछिग्या तुम, मालदार बंणग्या, रात दिन नोट छापण पर लग्याँ ? अरे भैजी, कनि बात करना, पुरषु न बोलि.
अरे वे भागसिंग कौंका केस कु क्या व्हे भुला,भगतु न पुछि ? भैजी ,मैंन त तुमारा सामणी ही, जु कुछ लिख्णु थौ,लिखिक फाईल अगाड़ी करियालि थै, मैंन त आपका बोलण से रावतजी तैं भी बोलियाली थौ ? अब भैजी, मैंन त अपणु काम करियालि, बाकी हैका कु मै क्या बोल सकदौं भैजी,ठीक न ?
मै त भैजी, जु भी अपणु आदमी औंदु न, पैली त वैकी मदद करदौं, नितर सही सलाह जरूर देंदौं. हमन भी जख भी सुणी, तेरी अच्छी तारीफ़ सुणि भुला, भगतु न बोली. हौर एक वू सकलानी, दुबाटा कु, वु भी अच्छु .एक डोभालजी कु नौन्याल, वु भी भौत अच्छु ? अच्छा भैजी, थोड़ा जल्दी म छौं जरा, चल्दौं. कुई सेवा हो त बता,नमस्कार . घर म भाभीजी अर बच्चा ठीक छन ?