अटलजी को नमन और श्रद्धांजलि . आप दो बार टेहरी आए थे और चंबा में घर बनाना चाहते थे। अटलजी के साथ ,जीजाजी स्वर्गीय डाक्टर गैरोलाजी और दीपक जी एवं उनके संगी साथी भी  याद आए
    यीं राजमहल की सड़की पर काफी ठण्डु रंदु बड़ी.अर यख बिटि चारु तरफ, खूब दिखेंदु ? दयारा, मदन नेगी, प्रताप नगर ,डोब –रामपुर, बजार ,मोटर अड्डा, दुबाटा, बेड़—पुल संगति दिखेंदु. कनि सुंदर लग्दी यख बिटि टीरी ?
      यु महल भी डुबलु बेटा,बल यनु बोल्दा ? अर करण क्या बेटा यूँ माच्दुन इतरा पाणी कु ? ये पाणी से त बंणण बिजली, अर य बिजली ठेड दिल्ली तक जाण बड़ी . अरे आग लगु तीं बिजली पर, जब हमारू घर –बार सैडू  डुब जांण त खारु कर्र्ण हमुन यीं बिजली कु ? बड़ी ल्या ऐगी तुमारु दफ्तर ,तुम वख पारवाला औफिस पर जा .
औफिस म पौछिक वीं जनानिन एका बाबु पुछी, हे बेटा यख सरोपु भी होलु, हमारा गौं कु ? कु सरोपु, डोबवालु ,वु त आई नी आज, क्य काम थौ ? बेटा बंणगि होलि हमारी फ़ैल ?  पता नी कि-क्या लिख्युं ऊँ नापदारों न ? कुजाणी, कति डोखरा हमारा नौ अर कति लुकारा नौ  ? कुड़ा की पैमायस भी बरोबर करीं, कि सुद्दी भौंकुछ लिख्युं ?
आप वख सामणी की सीट पर चल जा, वु बाबूजी बते देला. अरे बेटा ,जरा हमारी फ़ैल देखि त बुढड़ी न बोलि. क्या नौ तुमारा गौं कु, बाबु न बोलि ? डोब .अच्छा फाईल नंबर बता ? फ़ैल लंबर त नी पता,बेटा मै ? त यनी कने खोजण हमन तुमारी फाईल ? हे बेटा, इच्छी हमारू नौ देख न बेटा. अजी यनु त भौत मुश्किल बतौणु, बगर नंबर का ?
अरे बेटा फंडु दी करलु त्वे चा-पाणी पर इच्छी खोजदी तु वीं फ़ैल. अच्छा नौ बता ? रामरखी देवी. मरद कु नौ ? धरमपतनि स्वर्गीय इंदर सिंग चौहान. अच्छा, थोड़ी देर म आ आप, आधा- एक घंटा का बाद, अभी साब कु अरजेंट काम दिन्यु.
हे बेटा, एक चा बणोंदौं पर सुद्दी न बणे गरम पाणी, पत्ती अर मिट्ठु खूब डाली. इच्छी थोड़ा फंड खसकदौं भुली, हाँ बस अब ठीक, बैठीं रा . कखकि भुली तु ?
मै दिदी, कंणद कु. अरे वख बिटि त हमारू रातदिन कु बाटू, मै छोरी डोब कु. कनि सेरा की जमीन तुमारी कंडलवालों की, तुम कख दिनी यूंन जमीन ? कुजाणी कखी बेड़ फंडू बळ, रिषिकेश का धोरा.
भुली ,कई मवासों की त सुणी बळ वख फसल भी लगाईं अर भुली जमीन भी व खूब बल ? पर दिदी अपणु पहाड़ भलु , वख त सुद्दी लग्दी डअअर ? तुमारा गौं की राणाजी कौंकि ब्वारी कनि होली ? खूब दिदी. हमारा गौंकि छोरी वा, हमारा सोरा-भारों की नौनि. बंणादि छन्दे वींकी अपणि जिठाणी कौं दगड़ी ?
तेरु क्य काम भुली यख ? दिदी हम सणी जु पलोट मिल्युं कुड़ा बणोणक, वु एकदम खराब, वु बादलोंण थौ . कई दिन बिटि लग्यां हम चक्कर मारण पर, पर यूंकी आज –भोळ कभी ख़तम नि होंदी ? कभी बाबु नी त कभी साब नी. कुई सुणई नी यख गौं वालों कि, लोग परेशान व्हेग्या रातदिन ऐ ऐक . चल्दौं दिदी, मेरु नौन्याल ऐगी .
अबे, क्या हुवा नुकटी, क्या बोला केमवाल ने,कादिर न पुछी ? अबे होंण क्या, वहां तो बेटा खाता –खतोनी में नाम ही नहीं तुमारा किसीका ? अबे, तुमारा तो छोड़, शौकत भाई कौंका नाम भी नि है ? त अब कने बंणन ला ,हमारी फ़ैल ?
अबे नगरपालिका में जाके, पहले पुराणे रिकार्ड का पता लगाणा पड़ेगा . तब खाता –खतोनी में नाम दर्ज करने की दरख्वास्त देणी पड़ेगी .तब बणेगी बेटा तुम्हारी सर्वे-शीट .कुजांण कितना बखत लगे माचु इस काम में ? तब तक तो डैम भी बंणजालु, नी भाई साब ?
अबे ओ संतु , बात तो सुण, यहाँ आ न मुर्गी के, बेटा एक बीड़ी निकाल ? बीड़ी नी ,माँ कसम, अब्बी ख़तम ह्व़े. मै जाणु बेटा सब, मुझे देखके लुका दी होगी. ले मेरी जेब चैक कर, ले देख, त्वे से बिड़ी लुकौणी थै ? तो जा चाय की कैंटीन से लेआ एक बंडल ? बेटा सारा दिन खप जा यहाँ .
अरे भुला ,पुनर्वास कु दफ्तर कु होलु ? भाईजी पैले यो सामणी दिख रा न, ये जिसका नीला दरवाजा, ये एस.एल.ओ दफ्तर, वहीँ के थोड़ा आग्गे कु पुनर्वास आफिस. पर अजी भाईजी, अभी तो कोई भी नहीं मिलेगा वहां. अबी तो लंच का टैम होणे वाला, बाबु लोग तो बारह बजे ही गोळ हो जाएँ .
भाईजी, कहाँ से आए आप ? अरे मै त यक्खी मालद्युल से आई भुला, दोबाटा –पडियार गाँव से थोड़ा अगाड़ी .मालूम जी भाईजी ,सब हमको पर भाईजी आप लोकल तो बिलकुल नहीं दिखते ? अरे भुला, मै चंडीगड नौकरी करदु . तभी तो भाईजी, वरना लोकल को तो हम, एक मिनट में पछाण जाएँ, नी बे कादिर ?
अच्छा, मुसलमान छन तुम ? अरे यार वु कख होलु ,तुमारा मोल्ला कु सलीम, जैकु भाई सलमान थौ, खूब होलु वु ? हाँजी भाईजी ठीक हैं वो, आजकल उनका घनशाली में पुल का काम चल रा. अर वु यूनस बेग ,जौंकी राशन की दुकान थै, अरे यार ऊँकि गाड़ी भी थैंन ? वो भी ठीक हैं भाईजी. चला यार भुला ,थोड़ी –थोड़ी चाय पिये जाऊ ?
ना जी भाईजी शुक्रिया, हमने अब्बी पी . आप पुनर्वास विभाग में राणाजी से मिलो, वो अच्छे आदमी हैं, आपका काम वो सही करा देंगे .बाकी तो आप जानो कि,सरकारी दफ्तर में काम कैसे हो ? कई तो वैसे ही बेवकूफ बणादें. काम सही होणा चाहिए, नि भाईजी ?एकदम सही बोलि भुला तुमन, काम ठीक होयुं चैंदु ,नितर काटदि रा चक्कर पर चक्कर .खैर दुई –चार बखत त औण ही पड़दु .अच्छा भाईजी, चलते हैं,हमारा नमाज का टैम होरा, नमस्कार .
हो लाला, अबे सुंणन नी लग्युं , त्वेक ही भटयांण लग्युं मै, कख जाणों ? क्या बे पंडत, सुबेर- सुबेर केक लगाणु इनि पनौति लगाणु,चल चाय पिलो ?
अबे बणिया तू कि मै , कख लिजांण यु कमै – कमैक ? अच्छा पंडत ,चल जैका खिस्सा पर पैसा होला, वुई पिलौलु ? ले देख ,अर खिमानंद न पैंट का दुई खिसा भैर निकालिक उल्टा करदिनी .
लाला अगरवाल न एक हाथ से वैकु पाखडु पकड़ी अर हैका हाथ से गलु , अच्छा चल ऐंच कु खिसा दिखौ ? अरे माँ कसम ,छोड़ बे लाला, छोड़, कमीज फट जाली . अबे मै गरीब आदमी ,हैक्की कमीज कखन लौंण ? अच्छा पैली बतो कि चाय पिलौंदु कि नि पिलांदु ,तब छोड़लु ?
तेरु खिस्सा खाली होलु त मै सबु सणी चा पिलौलु ,जतना बेड़ कैंटीन म होला . अच्छा पिलौंदौं चल छोड़. एकि जनानिंन एका मनखी तैं पुछी, भैजी पोर म केक होलि लड़ई होणी ? अरे वु मजाकन करना, दुई दोस्त छन .
लाला विनोद अगरवाल अर खिमानंद भट्ट, दुई दुकानी ओज गैन.केकी फैल या, भट्ट न लाला तैं पुछि ?अरे यार दुकानी कु चक्कर कनु ,यूंन भाईजी कौंकी अर हमारी ,कट्ठी सर्वे –शीट बणे दिनि .अरे बरसु बिटि, हमारी दुकानि अलग –अलग छन ,पर औफ़िसवाला बोल्दान कि ,बड़ा लालाजी अभी बच्यां छन यांक एक ही शीट बंणलि.अरे यार कई पैसा त मैंन दुकान नई बणोंण पर खर्च करिन,ऐंच बिटि डेकोरेशन कु काम अलग कराई ?
अबे त सीधा नगर प्रशासक तैं मिलदौं खिम्मा न बोलि . चा की दुकान म और भी कई जांण पछाणवाला मिलग्या दुआ -सलाम व्हे . लाल्ला न उं तैं भी चाय क पुछी .भैजी प्या तुम, हमन अब्बी ग्लास भ्वां धरी .—
राकेश मोहन थपलियाल,मुंबई.
Rm.thapliyal17@gmail.com