नागरिकता कानून, बेरोजगारी, निजीकरण और शिक्षा परिसरों में हमलों के खिलाफ 23-30 जनवरी तक देशव्यापी अभियान चलाएगी किसान सभा

नागरिकता कानून वापस लेने और जनसंख्या व नागरिक रजिस्टर बनाने की प्रक्रिया पर रोक लगाने, बढ़ती बेरोजगारी, सार्वजनिक उद्योगों और शिक्षा के निजीकरण तथा शिक्षा परिसरों में राज्य प्रायोजित हमलों पर रोक लगाने जैसे मुद्दों पर किसान सभा जनवरी के अंतिम सप्ताह में देशव्यापी अभियान चलाएगी। यह अभियान जन एकता जन अधिकार आंदोलन में शामिल मजदूर-किसान-छात्र-युवा-महिला संगठनों के साथ मिलकर 23 से 30 जनवरी तक चलाया जाएगा।

किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने एक प्रेस बयान जारी करते हुऐ यह बात कही। उन्होंने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती लोकतंत्र बचाओ दिवस के रूप में मनाई जाएगी, 26 जनवरी को संविधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा और इस दिन संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक रूप से वाचन किया जाएगा और 30 जनवरी को महात्मा गांधी की 72वीं शहादत दिवस को धर्मनिरपेक्षता बचाओ दिवस के रूप में मनाया जाएगा और संघी गिरोह की हिन्दू राष्ट्र की सांप्रदायिक परियोजना को बेनकाब किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि संघ संचालित भाजपा सरकार देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और संविधान द्वारा इस देश की जनता को दिए गए लोकतांत्रिक अधिकारों पर बड़े पैमाने पर हमले कर रही है और इन राज्य प्रायोजित हमलों से शिक्षा परिसर भी अछूते नहीं बचे हैं। भारी फीस वृद्धि और शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ लड़ रहे छात्रों और शिक्षकों पर सुनियोजित रूप से हमले कराए जा रहे हैं। नागरिकता कानून को धर्म के साथ जोड़कर और देश के 130 करोड़ लोगों से नागरिकता के सबूत मांगने से स्पष्ट हो गया है कि इस कानून को संघी गिरोह की विचारधारा से असहमत जनता से नागरिकता छीनने का हथियार के रूप में उपयोग किया जाएगा।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि देश मे व्याप्त मंदी के कारण बेरोजगारी की दर पिछले 45 सालों में और महंगाई दर पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा है। लेकिन मनरेगा के जरिये ग्रामीणों को रोजगार देने और उनकी क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए सरकार तैयार नहीं है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को मोदी सरकार लागू नहीं कर रही है और राज्य सरकारों को भी किसी भी रूप में किसानों को राहत देने से रोक रही है। देशी-विदेशी कंपनियों को छूट देने और किसानों की सब्सिडी कम करने से खेती-किसानी की लागत बढ़ रही है और किसान समुदाय कर्ज़ के फंदे में फंसकर आत्महत्या करने को बाध्य है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, मोदी राज में हर रोज 30 किसान आत्महत्या कर रहे हैं, जो देश मे व्याप्त कृषि संकट की गहराई को ही बताता है।

उन्होंने कहा कि देश और संविधान बचाने की तथा आम जनता के अधिकारों की रक्षा करने की सबसे बड़ी लड़ाई में किसान सभा भी छत्तीसगढ़ में किसानों को एकजुट और लामबंद करने का काम पूरी ताकत से करेगी, ताकि देश को विभाजित करने की सांप्रदायिक साजिशों को मात दी जा सके।