आए दिन अखबार की सुर्खियों में बाघ के हमले की घटनाएं दिन प्रति दिन हमारी चिंताओं को बढ़ाते जा रहे हैं। आखिर और कितनी जानों को दाव पर लगाते रहेंगे हम। ताजा घटना पौड़ी जिले के पोखडा ब्लाक के अन्तर्गत देवकण्डाई गांव की है जहां शुक्रवार को भाई-बहन राघव और राखी जिनकी उम्र क्रमशः 9 व 11 साल है को घायल कर दिया, जिन्हें कोटद्वार बेस हास्पिटल में भर्ती कराया गया है। दोनों बच्चे अपनी मां के साथ गांव के पास जंगल में घास लेने गए हुए थे। तभी बाघ ने लड़के पर हमला कर दिया जिसे बचाने के चक्कर में बड़ी बहन भी घायल हो गई। बच्चों के पिता गाड़ी चलाते हैं और पिछले कुछ दिनों से वह भी बीमार चल रहे हैं। कोटद्वार हास्पिटल में बच्चों के साथ उनकी मौसी है जिन्होंने बताया कि लड़का और लड़की दोनों बहुत ज्यादा घायल हैं। वन विभाग ने भी 15 हजार की मदद कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। शासन-प्रशासन की बेरूखी का आलम इसी से लगाया जा सकता है कि बच्चों को कहीं हायर सेंटर में ईलाज के लिए ले जाने की व्यवस्था करना तो दूर कोई कोटद्वार बेस हास्पिटल में उनका हालचाल जानने भी नहीं गया।
वीरान पड़े पहाड़ों को बाघों से आबाद करने की चाल वहां रह रहे आम आदमी के जीवन पर भारी पड़ रही है। इससे पहले भी कई बच्चों की जान जा चुकी है आखिर इस सिलसिले को रोकने के लिए सरकार मौन क्यों है? कोई ठोस कदम उठाने से पहले कितनी और जानें ली जाएंगी।
क्षेत्र के समाजसेवी कविन्द्र इष्टवाल ने कहा कि यह घटनाएं और अधिक सहन नहीं की जाएंगी। यदि सरकार तत्काल बाघों से सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो इसके लिए वृहद जनांदोलन किया जाएगा।