वैसे तो धाकड़ धामी सरकार के 1 वर्ष पूरे होने पर सूचना विभाग द्वारा छापी गई उपलब्धियों की पुस्तिका में पहले पेज की तीसरी लाइन पर ही 10% क्षैतिज आरक्षण लागू करने की बात कही गई थी। जिसके बाद पूरे लोकसभा चुनाव में इस बात को खूब प्रचारित किया गया। अब वर्तमान में न्यूज़ पोर्टलों को दिये सरकारी विज्ञापन में भी इसे दिये जाने का ज़िक्र किया गया है। ऐसे में आंदोलनकारियों में इस बात का रोष है कि एक तरफ़ लगातार सरकार भर्तियों की विज्ञप्तियां जारी हो रही है दूसरी तरफ़ उनके 10% क्षैतिज आरक्षण को आज तक लटका रखा है। भर्तियाँ समाप्त हो जाने के बाद अगर यह लागू कर भी दिया गया तो इसका क्या लाभ। इसी बात से आक्रोशित आंदोलनकारियों ने बैठक निर्णय लिया कि वह या तो मुख्यमंत्री 10% क्षैतिज आरक्षण लागू करवायें या फ़िर जनता के बीच झूठी ख़बर फैला कर अपनी पीठ थपथपाना बंद करे।
देहरादून, 21जुलाई : शहीद स्मारक,देहरादून में आंदोलनकारियों ने 10% क्षैतिज आरक्षण व चिन्हीकरण के मुद्दे पर एक बैठक का आयोजन किया गया। आंदोलनकारियों का कहना था कि 30 जून को हुए मुख्यमंत्री आवास कूच के बाद हुई वार्ता के बाद स्वयं मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों से एक सप्ताह का समय निर्धारित करते हुऐ निस्तारण का वादा किया था मगर आज 21 दिन गुजर जाने के बाद भी मामला जस का तस पड़ा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ़ सूचना विभाग द्वारा समस्त न्यूज पोर्टलों को जारी विज्ञापन में 10% क्षैतिज आरक्षण दिये जाने का झूठा प्रचार किया जा रहा है।
इसके बाद आगामी रणनीति के तहत तय किया गया कि आगामी सप्ताह समस्त जिलों के प्रबुद्ध आंदोलकारियों से संपर्क कर एक सयुंक्त समिति का गठन किया जाएगा और उसके बाद बड़े पैमाने पर नए सिरे से आंदोलन शुरू किया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता उर्मिला शर्मा व संचालन क्रांति कुकरेती ने किया। बैठक में मुख्य रूप से ओमी उनियाल, केशव उनियाल, जगदीश चौहान, हरि प्रकाश शर्मा, राम किशन, विपुल नौटियाल, सुनीता ठाकुर, विशम्भर बौंठियाल, विमल जुयाल, वीरेन्द्र रावत, अभिषेक बिष्ट, नवीन राणा, अम्बुज शर्मा, प्रभात डंडरियाल, विनोद असवाल, सतीश धौलखंडी,नवीन राणा आदि लोग मौजूद थे।