जिन लोगों को इस राज्य को बनाने में अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण साल आन्दोलन में स्वाहा कर दिए वह आज भी पिछले 24 दिनों से अपना घर-बार छोड़ कर देहरादून स्थित शहीद स्मारक में धरने पर बैठे हैं। जनवरी माह में मुख्यमंत्री धामी द्वारा उनको दिए जा रहे #10_प्रतिशत_क्षैतिज_आरक्षण (#10_%_horizontal_reservation) को पुन: क्रियान्वित करने और एक्ट लागू करने के उनके वादे को लेकर वह आन्दोलनरत हैं । यहाँ तक कि मुख्यमंत्री से मिलने के प्रयास में देहरादून के अम्बुज शर्मा कोटद्वार के क्रांति कुकरेती और खटीमा के धर्मेन्द्र बिष्ट को विगत दिनों एक दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भी रहना पड़ा, मगर मुख्यमंत्री से मिलने की उनकी मांग अभी भी अधूरी ही है ।
देहरादून, 23 जून : उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी सयुंक्त मंच द्वारा शहीद स्मारक देहरादून में विगत 23 दिनों से 10% क्षैतिज आरक्षण लागू करवाने को चलाया जा रहा धरना 18 वें दिवस क्रमिक अनशन जारी रहा।
आज अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत सयुंक्त मंच ने जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया। प्रदर्शन के दौरान कार्यालय में ना तो जिलाधिकारी मौजूद थे और ना ही अपर जिलाधिकारी, इस बात को लेकर राज्य आंदोलनकारी बिफर गए और इसे अपना अपमान मानते हुए कार्यलय के अन्दर ही जोर-जोर से “राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी बंद करो”, “मुख्यमंत्री वादा निभाओ”, “राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा करना बंद करो” जैसे नारे लगाने लगे। इसके बाद मजिस्ट्रेट मायाराम जोशी ने पहुँच कर अधिकारियों को राजभवन मीटिंग में व्यस्त बताते हुए ज्ञापन देने को कहा, किन्तु राज्य आंदोलनकारियो ने उन्हें ज्ञापन देने से साफ़ मना कर दिया और नारेबाजी के साथ वही जमे रहे ।
आंदोलनकारियो का कहना था कि जब एक दिन पूर्व सिटी-मजिस्ट्रेट के माध्यम से आज ज्ञापन की सूचना दे दी गई थी तो डीएम/एडीएम स्तर के किसी अधिकारी को मौजूद रहना चाहियें था। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तुरंत अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन व वार्ता हेतु भेजा। ज्ञापन लेते हुए अपर जिलाधिकारी ने आंदोलनकारियों को आश्वस्त किया कि वे शीघ्र मुख्यमंत्री से वार्ता हेतु समय लेकर आंदोलनकारियों को अवगत कराएंगे।
23 दिनों से लगातार धरने का हिस्सा रहने वाले आन्दोलनकारी पत्रकार अम्बुज शर्मा ने सवाल किया कि – पिछली भाजपा सरकार द्वारा जनवरी 5 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई अंतिम कैबिनेट बैठक में 40 अहम फैसले लिए गए थे जिसकी जानकारी देते हुए शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया था कि “आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने से संबंधित पत्रावलि पर अनुमोदन देने हेतु राज्यपाल महोदय से पुनः अनुरोध करने का निर्णय किया गया है “। जिसे समाचार पत्रों में पढ़ कर कुछ आन्दोलनकारी उत्साह में उनका आभार प्रकट करने मिष्ठान व पुष्पगुच्छ लेकर आवास भी पहुँच गए थे । मगर क्या वह पत्रावली राज्यपाल के पास भेजी गई यह बात 6 माह बाद भी रहस्य ही है। अब अगर अनु सचिव नागेश सिंह नेगी के 23 मई के पत्र जिसमें वह आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10% क्षैतिज आरक्षण देने हेतु आहूत विचार-विमर्श बैठक को दिनांक 30 जून के लिए अग्रेतित करने को लिख रहें हैं इससे तो लगता है कि इस मामले में सरकार द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्यवाही इस दिशा में नहीं की गई ।
आज के घेराव में मुख्यत उर्मिला शर्मा, क्रांति कुकरेती, द्वारिका बिष्ट, सरोजिनी थपलियाल, शारदा बहुगुणा, राधा तिवारी, लीला राणा,सावित्री नेगी, इंदु बिष्ट, रेणु नेगी, बीना बहुगुणा, जगमोहन सिंह नेगी,अंबुज शर्मा, सुरेश नेगी, विक्रम भण्डारी, प्रदीप कुकरेती, हरिप्रकाश शर्मा , विरेन्द्र पोखरियाल , कुलदीप कुमार , सुरेश कुमार , शेर सिंह रावत, राजेन्द्र कोठारी, विक्रम भंडारी, उर्मिला डबराल, मंजू भट्ट, विरोजिनी भट्ट, युद्धवीर चौहान, बिल्लू वाल्मीकि, सुरेश नेगी, राजेश शर्मा,पूरण सिंह लिंगवाल,लोक बहादुर थापा, नवनीत गुसाईं, विक्रम नेगी, प्रेम सिंह नेगी, अमित जैन, राजेश पांथरी, पुष्कर बहुगुणा , विजय बलूनी, लोक बहादुर थापा, सुशील विरमानी , बलबीर सिंह नेगी,प्रभात डंडरियाल, राजेंद्र कोठारी, शेर सिंह रावत , आदि शामिल थे।
आज के क्रमिक अनशन में खटीमा से आए धर्मेन्द्र बिष्ट व उत्तरकाशी से शैलेन्द्र राणा बैठे।