सरकार अपने ऊपर कोई बात नही आने देना चाहती है मीडिया और आई टी सेल के रूप में सरकार के पास ऐसे मजबूत हथियार हैं जो सरकार की गलती का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने की कला में माहिर हैं। कोरोना फैलाने को मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराने और कोरोना जिहाद के नाम पर छाती पीटने वाले, आज गुजरात पर चुप हैं जहां कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही हैं जबकि नमस्ते ट्रम्प के दौरान वहां देश विदेश से लगभग 1 लाख से ज्यादा लोग मौजूद थे। इस वक़्त जब स्थिति भयावह हो गई है और रोज कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है तब लॉक डाउन में छूट देने की क्या जरूरत थी।
कहीं ये रमजान के बहाने एक तीर से दो शिकार करने की साजिश तो नहीं। एक तो खाड़ी देशों में मुसलमानों के प्रति गलत व्यवहार का विरोध होने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने की कोशिश और दूसरा कोरोना से निपटने की अपनी नाकामियों को छुपाने का ठीकरा मुस्लिम समुदाय पर फोड़ने की कोशिश। पहले भी मरकज के तब्लीगी जमात को पूरे देश में कोरोना जिहाद फैलाने का जिम्मेदार ठहराकर मुस्लिमो का आर्थिक बहिष्कार किया गया। अब रमजान के मौके पर खरीदारी के नाम पर मुस्लिम समुदाय को फिर से टारगेट नही किया जाएगा इस बात की संभावना कम ही है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि 15 मई तक कोरोना के मामले चरम पर होंगे और अपने देश मे सरकारी स्तर पर कोरोना से निपटने के क्या इंतज़ाम है उनसे हम सभी वाकिफ है।
इतना ही कहूंगी कि भले ही छूट मिली है लॉक डाउन में लेकिन कम से कम घर से बाहर निकले, फिजिकल डिस्टेंस बनाये रखें, मास्क और सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें कहीं ऐसा न हो कि रमजान के बहाने सरकारी निकम्मेपन का ठीकरा आप के सर पर फोड़ दिया जाए।