ऐसे भी हुए हैं पत्रकार
आज पत्रकारिता दिवस पर विश्वंभर दत्त चंदोला जी को याद करना चाहिए। विशंभर दत्त चंदोला देहरादून से प्रकाशित होने वाले “गढ़वाली‍” पत्र के संपादक थे।‍ जिसका प्रकाशन सन् 1905 में देहरादून से शुरू हुआ था।
1930 में आज ही के दिन घटित तिलाड़ी कांड की खबर गढ़वाली में छपी जिसमें करीब 100 लोगों के मरने की बात कही गई थी।
टिहरी राजशाही ने केवल 4 लोगों के मरने की बात कही और चंदोला जी से खबर पर माफी मांगने और “एक रवाई निवासी” के नाम के संवादाता का नाम पता बताने के लिए कहा। चंदोला जी ने राजशाही का पक्ष तो छाप लिया लेकिन खबर पर माफी मांगने और अपने संवादाता का नाम बताने से इनकार कर दिया।
टिहरी के दीवान चक्रधर जुयाल ने उनके उनके खिलाफ मुकदमा किया और 1 साल की सजा सुना दी। चंदोला ने जेल जाना स्वीकार किया लेकिन माफी नहीं मांगी। चंदोलाI 31 मार्च 1933 से 3 फरवरी 1934 तक देहरादून जेल में रहे। आगे भी वह इस पत्र का संपादन करते रहे।
आजादी के आंदोलन के दौरान ऐसी ही सजा अंग्रेजों ने “केसरी” ‍ पत्र के संपादक बाल गंगाधर तिलक को सुनाई थी। चंदोला जी का निधन सन 1970 में हुआ। उनका जन्म 1879 में गांव थापली कफोलस्यू पौड़ी गढ़वाल में हुआ था।
उन्हें गढ़वाल में पत्रकारिता का पितामह कहा जाता है। पत्रकारिता दिवस पर हर वर्ष कम से कम उत्तराखंड के पत्रकारों को उन्हें जरूर याद करना चाहिए।
उनके बारे में विस्तारपूर्वक फिर कभी।