टॉपर बच्चों का महिमामंडन

        यह अच्छी बात है कि परीक्षा में कुछ बच्चे बहुत अच्छे मार्क्स ले रहे हैं। उनकी ढेर खबरें भी छपती हैं। जरूरी भी है, ऐसे बच्चों को शाबाशी भी बनती है। लेकिन पिछले कुछ सालों से देख रहा हूं कि ऐसे बच्चों को जरूरत से ज्यादा महिमामंडित करने का एक चलन हो गया है। तमाम अखबारों से लेकर सोशल मीडिया तक कुछ दिनों तक यही बच्चे छाए रहते हैं। अखबारों के अलावा इन बच्चों के पेरेंट्स तो उन्हें महिमामंडित करते हैं, लोग अपने जिले के नाम पर, अपने क्षेत्र के नाम पर, अपने गांव के नाम पर भी इन बच्चों को खूब महिमामंडित करते हैं।यहां मैं आप सबके सामने एक सवाल रखना चाहता हूं। क्या ऐसे बच्चों को इस कदर महिमामंडित करना उचित है? क्योंकि सभी बच्चे टॉपर नहीं हो सकते। चंद बच्चों को प्रोत्साहित करने के एवज में हम अन्य लाखों बच्चों को हतोत्साहित तो नहीं कर रहे हैं? हो सकता है आप लोग मेरी इस राय से सहमत ना हों। हो सकता है कि कुछ लोग कहें बाकी बच्चों को भी ऐसी ही मेहनत करनी चाहिए। लेकिन, यह कतई तर्क वाली बात नहीं है। हर बच्चे का मानसिक स्तर एक सा नहीं होता। कुछ बच्चे एवरेज भी होते हैं।

और अंत में उन बच्चों से जो ऊंचा प्रतिशत हासिल कर अखबारों और सोशल मीडिया में जगह नहीं बना पा रहे हैं- बच्चों तुम्हें निराश होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। दुनिया के उदाहरण देख लो। अपने जीवन में कुछ अनोखा करने वाला कोई भी महान व्यक्ति एकेडमिक पढ़ाई में अव्वल नहीं था।

पुनश्च : एवरेज मार्क्स लाने वाले अपने बच्चे की तुलना शर्मा जी और वर्मा जी के बेटे से न करे। – Ravindra Rsn

एवरेज मार्क्स लाने वाले अपने बच्चे को भी सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई दें। -Sushil Saini

 

         साभार – त्रिलोचन भट्ट  {सरदार }