स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती महाराज व कथा श्रवण करते भक्त।
हरिद्वार, महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती महाराज ने कहा है कि भगवान भक्त की इच्छा के अनुरुप प्रकट होते हैं, और भक्त भगवान को जिस रुप में पाना चाहता है वे उसी रुप में दर्शन  देते हैं। आत्मा ही परमात्मा का अंश है और जो भक्त परमात्मा द्वारा रचित सृष्टि से प्यार करता है भगवान सदैव उसकी अन्तरात्मा में विद्यमान रहते हैं।
वे आज राजा गार्डन के हनुमान चैक स्थित श्री प्राचीन हनुमान मंदिर में हनुमान जयन्ती के उपलक्ष में आयोजित राम कथा में भक्त और भगवान के समन्वय का वर्णन कर रहे थे। अध्यात्म को आर्यावर्त का प्राचीन विज्ञान बताते हुए उन्हांने सृष्टि चक्र के वर्णन में कहा कि प्रारम्भ में मंत्र संतति से सृष्टि का संचालन होता था जबकि मनु एवं सतरुपा के प्राकट्यकाल के बाद ही मैथुन संस्कृति का शुभारम्भ हुआ। नारद मोह से लेकर राम जन्म एवं अयोध्या काण्ड का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि भारत का अतीत गौरवमयी है। जिसमें इच्छित वर एवं इच्छित संतान की प्राप्ति होती थी। इससे पूर्व कथा के मुख्य यजमान मूलचन्द शर्मा ने सपरिवार गायत्री महायज्ञ के माध्यम से विश्व कल्याण की कामना की। श्रीरामकथा को दिव्य और भव्य बनाने में जिनका विशेष योगदान है वे हैं आचार्य हरिओम, कोठारी बाबा सियाराम, प्रबन्धक कामता प्रसाद तिवारी तथा दिनेश चंद शास्त्री। आश्रम के प्रवक्ता राहुल ब्रह्मचारी ने बताया कि 19 अप्रैल को संगीतमय सुन्दरकाण्ड के साथ संत सम्मेलन से श्रीरामकथा की पूर्णाहुति होगी।