15 अगस्त 2022 : ये कहाँ आ गए हम ?
जनकवि मुकुट बिहारी सरोज की एक कविता की पंक्ति है –“शेष जिसमें कुछ नहीं ऐसी इबारत, ग्रन्थ के आकार में आने लगी है।”आज यदि वे इसे फिर से लिखते, तो ग्रन्थ की जगह 83 मिनट के उस भाषण से जोड़ते, जिसे 15 अगस्त की सुबह इस देश की जनता को लालकिले की प्राचीर से झेला … Continue reading 15 अगस्त 2022 : ये कहाँ आ गए हम ?
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